– गलत फहमियां और बबाल की वजह से २ निर्दोष अभियंता निलंबित,मामले की जांच पड़ताल के बाद सही निर्णय लिया जाएगा:- निदेशक खटारे का कथन
नागपुर: महानिर्मिती के कोराडी पावर प्लांट का पुराना राख बंधारा (एशबंड) प्लांट निर्माण की डिजाइन में त्रुटियों की वजह से घनघोर बारिश के चलते राख मिट्टी से निर्मित बंधारा धराशाई हो गया । परिणामस्वरूप राख मिश्रित पानी से आसपास के किसानों की कृषि फसल चौपट हो गई। हालांकि क़ृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान के मुताबिक ताप बिजली घर की राख कृषि उपज और फलोत्पादन में काफी इजाफा बताया गया है। नतीजतन मामले का अवलोकन और अध्ययन किये बिना गलत फहमियों की वजह से महानिर्मिती स्थापत्य निर्माण-२ के दो निर्दोष अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया। जिन्हें आगामी जांच पड़ताल के बाद उन्हें नौकरी बहाल करने की चर्चाओं का बाजार विधुत मुख्यालय में गर्म चल रहा है।
उधर राष्ट्रीय ताप विधुत निगम (NTPC) तथा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) स्थापना अभियांत्रिकी विशेषज्ञों की माने तो किसी भी बांध परियोजना
य भवन निर्माण की डिजाइनों मे मजबूत नीव निर्माण का उल्लेख किया जाता है। परंतु कोराडी पावर प्लांट के एशबंड निर्माण की डिजाइन में राख पानी से भरे दल दल युक्त भूमि पर एशबंड डैम नींव निर्माण का उल्लेख किया गया है?हालांकि विधुत स्थापत्य निर्मिती-2 के सिविल इंजिनियरों के अथक परिश्रम एवं प्रयासों से कोराडी पावर प्लांट का निर्माणाधीन एशबंड का कार्य लगभग 90 से 95 प्रतिशत पूर्ण हो चुका था। परंतु 2 जुलाई को अचानक घनघोर बारिश के चलते राख बंधारा (एशबंड) लबालब भर कर ओव्हर फ्लो हो गया। परिणामतः डैम की पार पानी के तेज बहाव की वजह राख मिट्टी से निर्मित डैम धराशायी हो गया और प्रभावित परिक्षेत्र के किसानों की कृषि फसल एवं खेती प्रभावित हो रही हैं।
इस संबंध में सिविल कंस्ट्रक्शन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राख बंधारा की अतिरिक्त अधिकतम ऊंचाई ज़रुरत से अधिक यानी ५० फुट ऊंचाई बढा दी गई होती तो भी घनघोर वर्षांत के अथाह एवं ओव्हर फ्लो जल के दबाव फलस्वरूप राख बंधारा धराशाई होने से कोई माई का लाल रोक नहीं सकता था? विशेषज्ञों के अनुसार जब तक ओव्हर फ्लो जल की निकासी के लिए बंधारा के विपरीत हिस्सा यानी बंधाया के ऊपरी हिस्सा में ओव्हर फ्लो जल निकासी के लिए आर सी सी कांक्रीट का नहर तैयार करना जरुरी समझा जा रहा है। बताते हैं कि बड़े बड़े बांधों में भी घनघोर वर्षांत के ओव्हर फ्लो जल निकासी के लिए विपरीत हिस्सा में जमीन की खुदाई करवाकर कांक्रीट नुमा नहर उपलब्ध कराया जाता हैं ताकि ओव्हर फ्लो जल अपने आप बाहर निकल जाएगा और बंधारा को किसी भी प्रकार की संभावित क्षतिग्रस्त होने से रोका जा सकता है?
कोराडी पावर प्लांट प्रबंधन जिम्मेदार
इस राख़ बंधारा (एशबंड ) का रखरखाव (मेंटनैंश )कोराडी पावर प्लांट प्रबंधन के जिम्मे है। क्योंकि महानिरमिती पावर प्लांट के पास स्वतंत्र विधुत स्थापत्य सुव्यवस्था विभाग मौजूद हैं। बावजुद भी इस कार्य की जिम्मेदारी महानिर्मिती स्थापत्य निर्मिती-2 सिविल के जिम्मे सौंपा गया था? उधर निर्माता कंपनी प्रबंधन के जानकार सूत्रों का तर्कसंगत आरोप है कि पावर प्लांट प्रबंधन की तरफ से राख बंधारा(एशबंड) निर्माण के लिए विगत मार्च अप्रैल मे ही डिस्पोजल पाईप लाईन द्वारा राख की आपूर्ति किया जाना चाहिए था? परंतु डिस्पोजल पाईप लाईन द्वारा राख की आपूर्ति जून माह के अंत में किया गया? बताते हैं कि एशबंड निर्माण का कार्य प्रगति पर था कि 2 जुलाई को अचानक वारिश ने कहर बरपाया। एक तरफ झमाझम वारिश में निर्माण कार्य स्थल पर मौजूद दल दल पर काम करना श्रमिकों तथा मिशनरियों के लिए खतरे से कम नहीं था?
नैसर्गिक (प्राकृतिक) आपदा का दोष
कोराडी पावर प्लांट का पुराना एशबंड धराशायी होने के पीछे स्थापत्य अभियंताओं का कोई दोष नहीं होता अपितु इसके लिए नैसर्गिक (प्राकृतिक) आपदा का दोष माना जा रहा है। यह बात तो बडे से बडे वैज्ञानिकों एवं वरिष्ठ सिविल सेवा सर्विसेज अधिकारी द्वारा इस कडुवा सत्य को नकारा नहीं जा सकता है?
महानिर्मिती प्रबंधन का कथन
उधर महानिर्मिती प्रबंधन के निदेशक श्री खटारे साहब का मानना है कि घनघोर बारिश के चलते कोराडी पावर प्लांट के एशबंड डहने की घटना को लेकर काफी बबाल के चलते यह निर्णय लेना पडा है? उन्होंने आगे बताया कि तत्संबंध मे मुख्यालय से मामले की गहराई से जांच के लिए निर्देश जारी किये जाएंगे। सभी पहलुओं की जांचपडताल के बाद हेड आफिस इस संबंध में उचित निर्णय लेगा।