Published On : Wed, Sep 11th, 2024
By Nagpur Today Nagpur News

सावधान!!! कहीं आपका ‘नैचरल’ डायमंड लैब में तो नहीं बना! हीरे से उठ रहा ग्राहकों का भरोसा

नागपुर: नागपुर में इन दिनों त्यौहारों को देखते हुए ज्वेलर्स अपना माल बेचने पर ज़ोर दे रहे हैं और ख़ास तौर पर डायमंड ज्वेलरी पर कुछ ज्यादा ही ऑफर्स दे रहें हैं। लेकिन त्यौहारों में हीरे की चमक को घर लाने से पहले ज़रा सावधान हो जाइए!! क्योंकि हो सकता है जो डायमंड आपको नैचरल बताकर थमाया जा रहा हो, वो असल में लैब में तैयार किया गया हो और उससे भी नीचे वो छोटे और सस्ते गुणवत्ता वाले दोषपूर्ण हीरे हों! यहां बता दें कि लैब में बनाए गए डायमंड जहां लगभग ₹20000 प्रति कैरेट पर बिकते हैं वहीं प्राकृतिक डायमंड की कीमत करीब 2 लाख रुपए प्रति कैरेट है।

कहते हैं ‘हीरा है सदा के लिए’। हीरे की चमक के कसीदे पढ़े जाते हैं, उसे बेशकीमती समझा जाता है, लेकिन बीते दो सालों में हीरा अपनी चमक खो रहा है. हीरे की कीमत में लगातार आ रही गिरावट ने ये सोचने पर मजबूत पर कर दिया है कि क्या हीरा अपनी चमक खो रहा है? क्या हीरे से लोगों का मोह भंग होने लगा है ? दरअसल बीते दो सालों के जो आंकड़े सामने आए हैं वो कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं।

Gold Rate
Tuesday 04 March 2025
Gold 24 KT 86,100 /-
Gold 22 KT 80,100/-
Silver / Kg 95,800 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

इन दो सालों में लैब में पैदा हुए हीरे की कीमत में भारी गिरावट देखने को मिली है। जुलाई 2022 में हीरे की कीमत 300 डॉलर (करीब 35 हजार रुपये) प्रति कैरेट थी जो इस महीने गिरकर 78 डॉलर (करीब 6529 रुपये) प्रति कैरेट पर आ गई है। वहीं प्राकृतिक हीरे की कीमत में भी 25 से 30% की गिरावट देखी गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या हीरे की चमक फीकी पड़ रही है? और सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिर ग्राहक लैब में तैयार किए गए हीरों और प्राकृतिक हीरों में फर्क कैसे जान सकते हैं, ताकि चकाचौंध से भरे शोरूम की आड़ में उन्हें ठगा न जा सके।

नागपुर टुडे को दिए एक खास इंटरव्यू में शहर के मशहूर ज्वेलरी शोरूम लोंदे ज्वेलर्स के डायरेक्टर राजेश लोंदे ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में डायमंड मैन्युफैक्चरिंग बहुत ज्यादा हुई है लेकिन इस हिसाब से इसकी डिमांड में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। आज बड़े-बड़े कारखानों ने माल बनाकर रखा है, लेकिन कोई लेने वाला नहीं है। इसके कारण दिनों दिन हीरों के दाम घटते जा रहा हैं।‌ दूसरी सबसे प्रमुख वजह यह है कि आज भी लोगों का विश्वास नहीं बन पाया है कि लैब में बने हुए डायमंड लें या नेचुरल डायमंड। इसके कारण नेचुरल डायमंड के दाम में भी 25% की गिरावट आई।”

राजेश लोंदे ने निवेश के तौर पर भी डायमंड की फीकी पड़ती चमक की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि पहले सॉलिटेयर को लोग इन्वेस्टमेंट के तौर पर खरीदते थे लेकिन लैब ग्रोन डायमंड्स के आने से लोगों का सॉलिटेयर पर से भी विश्वास खत्म हो गया है और उन्हें आशंका होने लगी है कि आगे चलकर यदि वो उन्हें बेचेंगे तो उन्हें क्या रिटर्न मिलेगा, या कुछ रिटर्न मिलेगा अभी या नहीं। लोगों को यह भी डर है कि आखिर असली हीरे की पहचान करें तो कैसे? दरअसल नेचुरल डायमंड और लैब ग्रोन डायमंड के बीच अंतर बता पाना आम ग्राहक के लिए लगभग नामुमकिन है। जब तक लैब में इसे टेस्ट नहीं किया जाता, तब तक इनके बीच अंतर नहीं बताया जा सकता।”

उन्होंने ग्राहकों को सचेत करते हुए बताया कि जब भी वे नेचुरल डायमंड की खरीदी करें तो यह अवश्य देखें कि उन्हें दिए जाने वाले सर्टिफिकेट में हीरे से संबंधित कौन-कौन सी जानकारी दी गई है। दरअसल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ़ अमेरिका (जीआईए) जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां डायमंड की टेस्टिंग के बाद नेचुरल डायमंड का सर्टिफिकेट देती हैं।

लेकिन ग्राहकों के सामने तो सवाल वही है कि यदि अपनी पसंद का नेचुरल डायमंड खरीदें तो भी वे यह नहीं जान पाएंगे कि वो हीरा दरअसल लैब में बना है या नेचुरल।

नागपुर के एक और डायमंड ज्वैलरी स्टोर कैरेटलेन से मिली जानकारी के अनुसार कैरेटलेन में सिर्फ नेचुरल डायमंड ही बेचे जाते हैं जिनका सर्टिफिकेट दिया जाता है। लेकिन वो डायमंड खरा है या लैब में तैयार किया हुआ, इससे ग्राहकों को सावधान रहना जरूरी है।

हीरा कारोबारी की मुश्किल

हीरे की डिमांड में आई कमी का असर उसकी कीमत पर दिख रहा. हीरे की कीमत लगातार गिरती दा रही है, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान हीरा कारोबारियों को हो रहा है. उन्होंने ऊंची कीमत पर हीरा खरीदा, लेकिन अब उसकी कीमत घट गई है. व्यापारियों ने ऊंची कीमत में इसे खरीद, जिसे अब उन्हें कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है. इसका असर ज्वैलरी सेक्टर से जुड़े कामगारों पर भी दिख रहा है.

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