नागपुर: अवनी मामले में दिल्ली से नागपुर आईं वन्यजीव प्रेमी संगीता डोगरा का कहना है कि अवनी को मारने के मामले में अब तक नागपुर वन-विभाग, पांढरकवड़ा और यवतमाल के वनविभाग के अधिकारियों के बीच केवल पत्र व्यवहार हो रहा है और विभाग एक दूसरे को बचाते दिख रहें हैं.
वन्यजीव प्रेमी संगीता डोगरा ने अवनी बाघिन की मृत्यु की सच्चाई जानने के लिए खुद दिन रात यवतमाल, पांढरकवड़ा के जंगलो में घूम घूम कर कई राज जो कागजों पर नहीं है उन्हें जान कर हासिल किए है. फिर उन्हीं की पुष्टि अलग तरीके से शुरु की. जिसमें सरकारी दस्तावेजों को कानूनी तरीके से उलट पलट कर पढ़ने से लेकर शुरुआत की. उसके मद्देनजर उन्होंने अधिकारियों पर दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाए हैं.
पिछले एक महीने से ज्यादा समय से वे नागपुर में हैं और इस दौरान उन्होंने नागपुर, पांढरकवड़ा, यवतमाल के वन अधिकारियों से भी बात की. लेकिन विभाग किसी भी तरह से वे अवनी के मामले में गंभीर नहीं है. अवनी को मारने के बाद वन विभाग ने शूटर को भगा दिया और अब कह रहे हैं की वह राइफल नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले एक समाचारपत्र की ओर से शफत अली खान य से बात की गई थी तो खान ने कहा था कि इससे पहले भी नरभक्षी जानवरों को शूट किया गया था. लेकिन कभी उनसे गन नहीं मांगी गई लेकिन इस बार ही क्यों राइफल मांगी जा रही है.
संगीता का कहना है कि खान को लत है जानवरों को मारने की. बाघिन को मारने के लिए ट्रंक्युलाइजर गन और राइफल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की होनी चाहिए थी. लेकिन शूटर असगर अली ने अपनी निजी राइफल से उसे शूट किया. एक शिकारी अपनी बन्दूक से ही शिकार करके गौरान्वित महसूस करने की मानसिकता रखता है.
उन्होंने असगर अली और शफत अली खान पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो राइफल भारत में वैध ही नहीं है उसका इस्तेमाल अवनी को मारने में हुआ है. और चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डन को इस बात का पता भी नहीं है. उसे मारने में .375 विनचेस्टर मैग्नम का इस्तेमाल ना करते हुए.300 राईफ्ल का इस्तेमाल अवैध ढंग से किया गया है. 300 राइफल जो है वह जर्मनी में वैध है, भारत में नहीं. और असगर के लाइसेंस को देखते हुए तो नया अपराध सामने दिख रहा है. अवनी को अवैध राइफल से मारा गया और उसके बाद वो राइफल छुपाई जा रही है.
राइफल अगर वन विभाग चाहे तो 4 से 5 घंटे में अपनी गिरफ्त में ले सकता है. ( पी. ओ. आर ) में धारा लगा कर, लेकिन अधिकारी केवल पत्राचार कर रहें हैं. संगीता ने कहा कि खान अपनी शान राईफ्ल कभी भी नहीं देंगे उनको पता है उन्होंने अपनी शानदार राईफ्ल से गुनाह किया है जो पकड़ा जा चुका है कमिटी की रेपोर्टस द्वारा.
संगीता ने आरोप लगाया है कि यह पूरी तरह से शिकार का मामला है. संगीता का कहना है कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन (1972 ) एक्ट के सेक्शन 11 के तहत उसे मारा गया. लेकिन सेक्शन 20 नहीं लगाया गया. 2002 के तहत कोई भी जानवर अगर हिंसक हो जाए तो उस एरिया की घेराबंदी की जाती है, ताकि लोगों को और उसको कोई नुक्सान न पहुंचे. वनविभाग ने जानभूझकर यह एक्ट लागू नहीं किया है. इन्होने कोर्ट का भी उल्लंघन किया है. अवनी को मारने के लिए पूराना एक्ट और उसके बच्चों के लिए नया एक्ट लागू किया गया है. संगीता का कहना है कि अवनी को मारते समय दो राइफल थी. लेकिन वहां पर शफत अली खान मौजूद नहीं थे. वे उस दौरान कहा थे ? और दुसरा व्यक्ति कौन था वहाँ ? इसकी जानकारी देने की मांग भी उन्होंने की है.
संगीता ने यवतमाल के डिविजनल मैनेजर पर भी आरोप लगाया है. उनका कहना है कि यह घटना एफडीसीएम की जमींन पर हुई थी. उन्होंने ऑफेंस रेजिस्टर्ड करना चाहिए था. क्योंकि उसके बिना कोई जांच, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आ सकती. उसे रात को मारा गया. जबकि जंगल में रात को जाना ही क्रिमिनल ऑफेंस है. वनविभाग के ही मुखबीर शेख उन्हें वहां लेकर गए. यवतमाल के सीसीएफ की ओर से भी मामले को घुमाया जा रहा है. 2 जनवरी को सीसीएफ ने उन्हें व्हाट्सप्प पर जानकारी दी थी कि शफत अली खान को अरेस्ट करना है और इसकी जानकारी हैदराबाद पुलिस को देनी है. लेकिन उसके बाद से वे ऑफिस में ही नहीं दिखाई दिए.
अवनी को मारने के मामले में शिकायत में धारा ही नहीं लगाई गई है. उन्होंने इस दौरान (एफडीसीएम) के एमडी रामबाबू, जीएम (वनीकरण) त्रिपाठी, यवतमाल के डिवीजनल मैनेजर प्रफुल एन. वाघ, असिस्टेंट मैनेजर वसंत सरपे, पीसीसीएफ के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ए.के. मिश्रा, सीसीएफ राहुरकर और डि वाय सी एफ के.एम. अभरना पर भी अवनी मामले में जानभूझकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
नागपुर के हेड ऑफ़ फॉरेस्ट से हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि उन्होंने आईएफएस के साथ किसी भी तरह की कोई बदतमीजी नहीं की थी. उनसे केवल अवनी के बारे में जानकारी मांगी थी. लेकिन उनका कहना था कि उनका इस केस से कोई लेना देना नहीं है. जबकि डाक्यूमेंट्स के आधार पर देखा जाए तो उन्हें इस बारे में जानकारी थी. संगीता ने बताया कि उमेश अग्रवाल के खिलाफ उन्होंने पुलिस में शिकायत दी है लेकिन अब तक अग्रवाल के खिलाफ भी एफआईआर नहीं हुई है.