नागपूर– देश में लॉकडाउन के कारण अब जैसे जैसे दिन बढ़ रहे है , समस्याएं और विकराल होती जा रही है. नागपूर शहर में कोरोना के मरीजों के बढ़ने के कारण नागपूर के आसपास के गांवों और छोटे शहरों में भी नागपूर के नागरिकों को लेकर डर का माहौल है. इसी तरह का एक मामला सामने आया है. उमरेड नागपूर से काफी नजदीक है. इस जगह कई बैंक है. नागपूर के कई बैंक कर्मचारी जो निजी और सरकारी बैंक में काम करते है, वह नागपूर से रोजाना उमरेड से नागपूर आना जाना करते थे. लेकिन नागपूर के मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर वहां के स्थानीय विधायक ने एक बैठक कर यह निर्णय लिया कि नागपूर का कोई भी बैंक कर्मी अपडाउन न करे, बल्कि उमरेड में ही कुछ दिनों के लिए रहे.
इसके बाद करीब 50 से ज्यादा बैंक कर्मियों को यहाँ रूकाया गया. पुरुष कर्मचारियों को एक हॉल में ठहराया गया और कुछ महिला कर्मचारियों को दूसरी जगह ठहराया गया .
पुरुष कर्मचारियों को जिस हॉल में ठहराया गया है. वहां किसी भी तरह की सुविधा नही है. खाने का के इंतजाम नहीं है, खाने और अन्य सुविधाए इन्हें बाहर से करनी पड़ती है. जिसके लिए बैंक भी इन्हें कोई मदद नही कर रहे है और बैंक का कहना है कि आप के इन खर्च की कटौती वेतन से की जाएगी.
इस मामले में नागपूर में कोरोना मरीजों की संख्या के कारण उमरेड के स्थानीय नागरिक भी इन कर्मचारियों को पसंद नही कर रहे है. मिली जानकारी के अनुसार नागरिको का भी कहना है कि वे अपने शहर लौट जाए.
पीड़ित बैंक कर्मी के अनुसार यहां के विधायक ने भले ही उमरेड में ही कर्मचारियों को रहने के लिए कहा था, लेकिन किसी भी तरह की व्यवस्था और मदद विधायक की ओर से नही की गई है. इन बैंक कर्मियों में कई ऐसे कर्मी भी है, जो निजी बैंक में कार्यरत है और उनका वेतन काफी कम है. लेकिन अब विधायक के फरमान के बाद उनपर भी आर्थिक संकट आ गया है.