कई बड़े राजनीतिक नेताओं के आध्यात्मिक गुरु और सत्ता के बेहद करीबी रहे भय्यूजी महाराज ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली है. इससे पहले इसी साल अप्रैल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन पांच धार्मिक नेताओं को कैबिनेट मंत्री दर्जा देने की घोषणा की थी, उनमें भैय्यूजी महाराज का नाम भी शामिल था. हालांकि बाद में भैय्यूजी महाराज ने राज्य सरकार की यह पेशकश ठुकरा दी थी.
जमींदार परिवार से नाता
भय्यूजी महाराज का असली नाम उदय सिंह देशमुख था. 29 अप्रैल 1968 में मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में जमींदार परिवार में जन्मे भय्यूजी महाराज संत बनने से पहले मॉडल के रूप में ग्लैमर जगत का हिस्सा रहे थे. इंदौर में उनका शानदार आश्रम है. सफेद मर्सिडीज एसयूवी में सफर करने वाले भैय्यूजी महाराज वैभवपूर्ण जीवनशैली के लिए जाने जाते थे. सियाराम शूटिंग के लिए उन्होंने मॉडलिंग की थी.
उनकी राजनेताओं और बिजनेसमैन के बीच जबर्दस्त फॉलोअिंग थी. इसकी बानगी इस बात से समझी जा सकती है कि 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे ने जब दिल्ली में लोकपाल के मसले पर अनशन किया था तो उसको समाप्त कराने में भय्यूजी महाराज ने ही मध्यस्थता की थी.
एक आध्यात्मिक गुरु की जो छवि हमारे जेहन में उभरती है, वह उससे काफी हद तक अलग थे. वह क्रिकेट खेलते, खेतों की जुताई करते देखे जा सकते थे. घुड़सवारी और तलवारबाजी में भी वे पारंगत थे.
कैबिनेट मंत्री का रुतबा
मध्य प्रदेश में पिछले दिनों ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने की घोषणा करने वाले कंप्यूटर बाबा और पंडित योगेंद्र महंत सहित पांच सांधुओं को शिवराज सिंह चौहान सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा देने की घोषणा की थी. अन्य तीन संतों में भय्यूजी महाराज, नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज के नाम शामिल था. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नर्मदा नदी के लिए एक विशेष समिति का गठन भी किया. आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इस समिति के 5 विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. राज्य सरकार ने कहा कि इन साधुओं का सामाजिक योगदान ज्यादा है. हालांकि सरकार की इस घोषणा को साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के साथ जोड़कर भी देखा गया था.