Published On : Thu, Sep 6th, 2018

भीमा कोरेगांव केस: महाराष्ट्र सरकार को SC की फटकार

Advertisement

नई दिल्‍ली : भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि पुलिस कौन होती है ये कहने वाली कि सुप्रीम कोर्ट दखल न दें. कोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि अगली सुनवाई तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी, लेकिन आरोपियों की घर में नजरबंदी जारी रहेगी.

उच्चतम न्यायालय ने कोरेगांव-भीमा मामले में पांच कार्यकर्ताओं की नजरबंदी को 12 सितंबर तक आगे बढ़ाने का आदेश दिया. उच्चतम न्यायालय ने पुणे पुलिस के एसीपी के बयानों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि वह अदालत पर आक्षेप लगा रहे हैं. उच्चतम न्यायायल ने कहा कि जब मामले की सुनवाई अदालत में रहो रही हो तो महाराष्ट्र सरकार अपनी पुलिस को ज्यादा जिम्मेदार होने का निर्देश दे. महाराष्ट्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि इन कार्यकर्ताओं को नजरबंद रखने से इस मामले की जांच प्रभावित होगी. न्यायालय ने रोमिला थापर समेत अन्य याचिकाकर्ताओं से कहा कि वह अदालत को संतुष्ट करें कि क्या एक आपराधिक मामले में तीसरा पक्ष हस्तक्षेप कर सकता है.

Gold Rate
Thursday 13 March 2025
Gold 24 KT 87,100 /-
Gold 22 KT 81,000 /-
Silver / Kg 99,100 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

प्रोफ़ेसर सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा और वेरनन गोंज़ाल्विस की गिरफ़्तारियों को चुनौती देने वाली इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 12 सितंबर तक होगी.

पुलिस के पास पांचों एक्टिविस्ट के खिलाफ पुख्ता सुबूत- सरकार
भीमा कोरेगांव केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गिरफ्तार किए गए पांचों एक्टिविस्ट समाज में अराजकता फैलाने की योजना बना रहे थे. पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत हैं. राज्य सरकार ने कहा कि एक्टिविस्ट को उनके सरकार कर प्रति अलग सोच या विचारों की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया है. उनके खिलाफ पक्के सबूत पुलिस के पास हैं, उन्हें पुलिस हिरासत में दिया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने कहा कि इस बात के सबूत पुलिस को मिले हैं कि पांचों एक्टिविस्ट प्रतिबंधित आतंकी (माओवादी) संगठन के सदस्य हैं.

कोर्ट ने दिया था हाउसअरेस्ट करने का आदेश
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और पांचों एक्टिविस्टों को राहत देते हुए उन्हें 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट यानी घर में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, इसे रोका तो यह फट जाएगा. वहीं, दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि एफआईआर में गिरफ्तार किए लोगों का नाम तक नहीं है.

उधर, पुणे पुलिस की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने कहा था कि याचिका दायर करने वालों का इस केस से कोई ताल्‍लुक नहीं है, वो किस हैसियत से याचिका दायर कर सकते हैं. याचिकाकर्ता रोमिला थापर, देवकी जैन, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और माया दारूवाला ने याचिका दायर कर पुणे पुलिस की कार्रवाई को चुनौती दी थी.

एक्टिविस्टों की हिरासत की मांग
भीमा कोरेगांव केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हलफनामा दाखिल कर बताया था कि गिरफ्तार किए गए पांचों एक्टिविस्ट समाज में अराजकता फैलाने की योजना बना रहे थे. पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि एक्टिविस्ट को उनके सरकार कर प्रति अलग सोच या विचारों की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया है. उनके खिलाफ पक्के सबूत पुलिस के पास हैं. उन्हें पुलिस हिरासत में दिया जाना चाहिए.

राज्य सरकार ने कहा कि इस बात के सबूत पुलिस को मिले हैं कि पांचों एक्टिविस्ट प्रतिबंधित आतंकी (माओवादी) संगठन के सदस्य हैं. ये न केवल देश मे हिंसा की योजना बना रहे थे, बल्कि इन्होंने बड़े पैमाने पर देश मे हिंसा और तोड़फोड़ व आगजनी करने की तैयारी भी शुरू कर दी थी. इससे ये समाज मे अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते थे. इनके खिलाफ गंभीर अपराध का केस बनाया गया है. इनके पास से आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद की गई है. इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि ये सभी प्रतिबंधित माओवादी संगठन CPI (माओवादी) के एक्टिव मेंबर हैं.

पुणे पुलिस ने पांच एक्टिविस्ट को किया था गिरफ्तार
आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छापेमारी कर घंटों तलाशी ली थी औऱ फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है, जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की भी गिरफ्तारी भी हुई है.

Advertisement
Advertisement