असम और महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग ने सियासी भूलाच ला दिया है. इस एक ज्योतिर्लिंग के इतिहास पर दो राज्य दावा ठोंक रहे हैं. दोनों ही राज्य बीजेपी शासित हैं, ऐसे में विवाद ज्यादा बढ़ गया है. दावों का दौर जारी है, इतिहास के पन्ने भी टटोले जा रहे हैं. इस बहस के बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विवाद पर दो टूक जवाब दिया है. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि ये सभी को पता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में स्थित है.
एक ज्योतिर्लिंग, दो अलग दावे
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सभी इस बात को जानते हैं कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में है और किसी के मन में इसे लेकर सवाल नहीं है. अगर मैं कल एक विज्ञापन दे दूं कि कामाख्या देवी मंदिर महाराष्ट्र में है तो क्या वो उससे महाराष्ट्र में आ जाएगा? ये रहेगा तो गुवाहटी में ही. जो लोग ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, उनके पास कोई दूसरा मुद्दा नहीं है. अब जानकारी के लिए बता दें कि ये सारा विवाद एक विज्ञापन से शुरू हुआ था जो असम सरकार ने हर बड़े अखबार में छपवा दिया था. उस विज्ञापन में महाशिवरात्रि के पर्व पर लोगों को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए बुलाया गया था.
कहा गया था कि सभी श्रद्धालु असम आकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें. उस एक विज्ञापन के बाद ही महाराष्ट्र की राजनीति में बवाल शुरू हो गया था. महा विकास अघाड़ी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई. सुप्रिया सुले ने तो यहां तक कह दिया कि बीजेपी अब धार्मिक इतिहास को भी चुराने का काम करने लगी है.
सीएम हिमंता ने क्या कहा था?
इस पूरे विवाद पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिसवा सरमा ने कहा है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का जन्म शिव पुराण के मुताबिक Kamrup Pradesh में हुआ है. पुराण में साफ-साफ लिखा है कि ज्योतिर्लिंग Kamrup में स्थित है. ये हमारा विश्वास है. महाराष्ट्र का अपना कोई विश्वास हो सकता है. भगवान शिव को लेकर कई दूसरी जगहों पर अलग विश्वास है. अब इन दावों के बीच महाराष्ट्र के पुजारियों ने असम के इस कदम की निंदा की है. अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने एक जारी बयान में कहा है कि इतिहास को बदलने के लिए असम द्वारा ये सबकुछ किया जा रहा है.