नागपुर। कंफेडेरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से आग्रह किया है की सभी प्रकार के निर्माताओं को निर्देशित किया जाए की जीएसटी लगने से पहले और जीएसटी लगने के बाद की अपने उत्पादों की दरों की वो घोषणा करे जिससे पता लग सके की जिन वस्तुओं पर जीएसटी में कर का प्रतिशत कम हुआ है और व्यापार करने की दिशा में जिन खर्चों का उन्हें इनपुट क्रेडिट मिल रहा है , उसका लाभ अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचता है अथवा नहीं। कैट ने कहा है की अक्सर ऐसे देखा गया है की गत वर्षों में जब भी किसी वस्तु पर कर की दर कम हुई है, बाजार में उसका दाम उस प्रतिशत में कम ही नहीं हुआ जिससे स्पष्ट है की कर का लाभ निर्माताओं ने अपने पास रख लिया जबकि उसे उपभोक्ता तक पहुंचना चाहिए था। इस विकृति को दूर किया जाना बेहद आवश्यक है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है की क्योंकि जीएसटी में चार कर दरें रखी गयी है और जितना भी कर व्यापार एवं उद्योग देंगे उसका पूरा इनपुट क्रेडिट उन्हें मिलेगा। इसके अतिरिक्त व्यापार करने में जितने भी खर्चे होंगे उन पर दिए हुए कर का भी इनपुट क्रेडिट पूरा मिलेगा। इसके साथ ही किसी भी दूसरे राज्य से माल खरीदने पर जो भी कर दिया जायेगा, उसका भी इनपुट क्रेडिट पूरा मिलेगा। ऐसे में वस्तुओं की कीमत बढ़ने की सम्भावना न के बराबर है। ज्ञातव्य है की वर्तमान कर व्यवस्था में खर्चो पर दिए हुए कर और अंतराज्यीय व्यापार में दिए हुए कर का इनपुट क्रेडिट नहीं मिलता है। जीएसटी क्योंकि माल और सेवाओं के मिली जुली कर प्रणाली है , इस दृष्टि से व्यापार हेतु किसी भी प्रकार की सेवा लेने पर दिए हुए कर का पूरा इनपुट क्रेडिट मिलेगा। कुल मिलाकर जब हर प्रकार के दिए हुए कर का इनपुट क्रेडिट मिलेगा तो निश्चित रूप से वस्तु निर्माण की कीमत कम होने की सम्भावना है जिसका लाभ उपभोक्ता को मिलना ही चाहिए। अक्सर बड़ी कंपनियां अपनी मोनोपोली के चलते उक्त लाभ को उपभोक्ता तक पहुँचने नहीं देती है जबकि सप्लाई चेन में लगे व्यापारियों पर दोषारोपण किया जाता है।
जीएसटी में प्रस्तावित कर की दरों का एक सरसरी तौर पर किये गए अध्यन से यह स्पष्ट है की मौटे तौर पर कर की दर जो भी है,वास्तविक कर उस से कम ही होगा क्योंकि दिए हुए कर के पूरे इनपुट के अलावा सभी प्रकार की सेवाओं और अन्य खर्चो पर दिए गए कर का भी इनपुट क्रेडिट मिलेगा जो निश्चित रूप से लैंडिंग कॉस्ट को कम करेगा। व्यापार के दौरान कैब सर्विस, ट्रांसपोर्ट सर्विस, पैकिंग एंड फॉरवार्डिंग, व्यापार वृद्धि के लिए आयोजित कांफ्रेंस आदि पर हुए खर्चों में जो कर दिया है उसका पूरा इनपुट जीएसटी में मिलेगा।
कैट ने कहा है की यदि कंपनियों को जीएसटी के पूर्व और पश्चात् के रेट घोषित करने के लिए अनिवार्य कर दिया तो किसी भी प्रकार की गड़बड़ नहीं होगी और साफ़ पता लगेगा की जीएसटी लगने के बाद महंगाई कम हुई है या बढ़ी है।