– मेडिकल में प्रतिदिन लगभग 2,500 से 3,000 व सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में लगभग 1,000 रोगी पंजीकृत होते हैं।
नागपुर – सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (मेडिकल) एवं सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में बायोमेट्रिक अनिवार्य किया जाएगा।देर से आने वालों की सूचना प्रशासन को देने की जिम्मेदारी विभाग प्रमुखों को दी गई है और देर से आने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी.
याद रहे कि मेडिकल अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 2,500 से 3,000 रोगी और सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में लगभग 1,000 रोगी पंजीकृत होते हैं। चूंकि दोनों अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और करोड़ों मशीनों की व्यवस्था है, इसलिए विदर्भ और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं।
भले ही यहां के डॉक्टरों और कर्मचारियों को सरकार द्वारा अच्छी खासी वेतन दिया जाता है,फिर भी कुछ डॉक्टर देर से आते हैं,जबकि उन्हें सुबह 8 बजे बाहरी मरीजों की सेवाओं के लिए उनकी उपस्थिति अनिवार्य की गई हैं.
इस बीच, चिकित्सा प्रशासन ने उक्त लेटलतीफ कर्मचारियों की विलंबता को नियंत्रित करने के लिए 16 बायोमेट्रिक उपस्थिति मशीनें खरीदी हैं। इस मशीन को चालू कर दिया गया है और पिछले कुछ दिनों से इस पर उपस्थिति की प्रथा भी शुरू हो गई है।इस उपस्थिति के अनुसार,सभी विभाग प्रमुखों को अपने डॉक्टरों और कर्मचारियों की उपस्थिति का रिकॉर्ड रखना होगा और प्रशासन को सूचित करना होगा,खासकर जो देर से आते हैं। उसके बाद प्रशासन संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करेगा।
क्या बायोमेट्रिक हाजिरी के डर से अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चिकित्सा अस्पताल, व्यावसायिक चिकित्सा महाविद्यालय, भौतिक चिकित्सा महाविद्यालय, नर्सिंग महाविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी समय पर सेवा में आएंगे ? यह ज्वलंत सवाल परिसर में हिचकोले खा रहा हैं.
कॉलेज परिषद की बैठक में चिकित्सा अस्पतालों और सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य करने के मुद्दे पर मुहर लगा दी गई है और इसकी जिम्मेदारी विभागों के प्रमुखों को दी गई है. मेडिकल के दिन डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने कहा कि जानबूझ कर देर से आने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.