नागपुर: महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के एक आदेश के चलते फिर से भाजपा और शिवसेना में ठन गयी है। हालाँकि शिवसेना राज्य सरकार में भागीदार है, लेकिन जब-तब प्रदेश सरकार के फैसलों का विरोध कर अपनी विरोधाभासों को उजागर करती रहती है।
गत 4 जनवरी को राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से एक निर्देश जारी किया गया कि प्रदेश के सभी शासकीय एवं शैक्षिक संस्थानों से धार्मिक तस्वीरों को हटा लिया जाए। राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने भी सामान्य प्रशासन विभाग के इस दिशा-निर्देश को पालन करने के आदेश दिए।
इस दिशा निर्देश के जारी होते ही, मुंबई स्थित मंत्रालय समेत राज्य भर के सभी शासकीय दफ्तरों और शैक्षिक संस्थानों से धार्मिक संदेश देती या धार्मिक देवी-देवताओं या प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करते तस्वीरें हटा ली गयी। सरकार के इस दिशा-निर्देश की भनक जैसे ही सत्ता में सहभागी शिवसेना को लगी वह भड़क गयी।
शिवसेना की प्रवक्ता नीलम गोर्हे ने फड़णवीस सरकार के इस आदेश को हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने वाला गैर जरुरी फैसला करार दिया है। श्रीमती गोर्हे ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जो काम करने में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार हिचकती रही है, उसे हिन्दूवादी कहलाने वाली सरकार ने ही कर दिखाया।
उल्लेखनीय है कि इसी तरह का एक दिशा-निर्देश वर्ष 2002 में कांग्रेस-राकांपा सरकार ने जारी किया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ था। जबकि इस बार सामान्य प्रशासन एवं ग्रामीण विकास प्रशासन ने अमल किया, उसके बाद ही सत्ता में भागीदार शिवसेना को इस दिशा-निर्देश की खबर हुयी।