अकोला/नागपुर: किसानों से जुडी माँगो को लेकर सरकार ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का आंदोलन जारी है। सिन्हा पुलिस मुख्यालय ग्राऊंड पर सोमवार रात से ही ठिय्या आंदोलन पर बैठे है। जिलधिकारी कार्यालय पर किसानों द्वारा निकाले गए मोर्चे के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर इसी ग्राऊंड पर लाया गया था। उनके साथ सैकड़ों किसान भी आंदोलन कर रहे है। सोमवार रात यशवंत सिन्हा ने यही भोजन किया और यही सोए भी थे। मंगलवार को मिडिया से बात करते हुए सिन्हा ने कहाँ की जब तक सरकार उनकी माँगे जब तक नहीं मानती तब तक वह अपने क़दम आंदोलन से पीछे नहीं हटायेंगे। उन्होंने आमरण उपोषण किये जाने की धमकी भी किसानों को दी है।
इस आंदोलन में शामिल बीजेपी सांसद नाना पटोले ने वरुण गाँधी, शत्रुध्न सिन्हा और अरुण शौरी के भी अकोला पहुँचकर आंदोलन में शामिल होने की जानकारी दी है। नाना खुद भी मंगलवार को अकोला पहुँच चुके है।
उद्धव ठाकरे और शरद पवार से सिन्हा ने की चर्चा
यशवंत सिन्हा से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने बातचीत की। है फ़ोन पर हुई इस बातचीत में दोनों नेताओं ने सिन्हा का हाल लिया और आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
तुषार गाँधी और आंबेडकर ने की मुलाकात
महात्मा गाँधी के प्रपौत्र तुषार गाँधी और रिपब्लिकन नेता प्रकाश आंबेडकर ने मंगलवार को पुलिस मुख्यालय ग्राऊंड में जाकर यशवंत सिन्हा से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने आंदोलन और किसानों की माँगो के संबंध में विस्तार से सिन्हा के साथ चर्चा भी की।
सीएम की सिन्हा को पीएम से बात करने की सलाह
नाना पटोले के मुताबिक किसानों की माँग राज्य सरकार तक पहुँचाने के लिए खुद यशवंत सिन्हा ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने फ़ोन पर आने की बजाए मैसेज दिया की सिन्हा उनसे संपर्क करने के बजाए पीएम बात करें। सीएम के इस रुख से पार्टी के वरिष्ठ नेता को भावनात्मक आघात पहुँचने की बात पटोले ने कही है।
क्या है सिन्हा की माँग
-स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए
– राज्य के किसानों की पूर्ण कर्जमाफी
-भवांतर योजना को तत्काल लागू किया जाए
– फसलों को उचित समर्थन मूल्य दिया जाए
अपनी ही सरकार के खिलाफ किसानों के मुद्दे पर यशवंत सिन्हा सर्जिकल स्ट्राईक कर रहे है। जिस तरह रुख उन्होंने अख्तियार किया है और अन्य दलों के साथ किसानों का उन्हें समर्थन मिल रहा है इससे किसानों के मुद्दे पर सरकार घिरती नज़र आ रही है।