Published On : Fri, Feb 16th, 2018

अपनी ही सरकार से न्याय की गुहार लगाने वाले बीजेपी पदाधिकारी को मिली सजा

नागपुर: अपनी ही सरकार से न्याय की गुहार लगाना बीजेपी के पदाधिकारी को भारी पड़ा। न्याय की आस लगाने वाले सुभाष घाटे को उनके पद से हटा दिया गया है। सुभाष कल तक भारतीय जनता पार्टी की ओबीसी ईकाई के नागपुर विभाग के अध्यक्ष थे। शुक्रवार को ईकाई के अध्यक्ष विजय चौधरी ने इस संबंध में पत्र जारी किया। सुभाष ओबीसी समाज से आने वाले मनपा में कार्यरत रहे 17 पूर्व कर्मचारियों की पुनःनियुक्ति के लिए प्रयासरत थे। आशंका है की सुभाष को इसी आंदोलन और लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने की सज़ा मिली है। बीते दिनों 11 फ़रवरी को नागपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्महत्या का प्रयास करने के जुर्म में गिरफ़्तार भी किया था। लेकिन बकौल सुभाष वह मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्महत्या का प्रयास करने पहुँचे अन्य लोगों को रोकने गए हुए थे। सुभाष के मुताबिक उन्हें पदमुक्त किये जाने संबंधी किसी भी तरह का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। बावजूद इसके ऐसी कार्रवाई की भी गई है तो वह ओबीसी समाज के लिए इसे सहर्ष स्वीकार करते है। वह पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्त्ता की तरह काम करते रहेंगे।

क्या है मामला

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अदालत के आदेश के बावजूद वर्षो से मनपा में विभिन्न विभागों में कार्यरत रहे 17 कर्मचारी अपनी नियुक्ति को लेकर संघर्षरत है। वर्ष 1993 में 256 भर्तियां निकाली गई थी। जिसमे से 106 कर्मचारियों को अतिरिक्त स्टाफ़ होने की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया था। वर्ष 1997 में मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस कर्मचारियों की वापस भर्ती का आदेश दिया था। जिसके बाद 106 में से 89 लोगों को काम पर नियुक्त कर दिया गया। जबकि बचे 17 लोग अब भी न्याय की आस में है। इन लोगो ने क़ानूनी लड़ाई भी लड़ी।

विलासराव देशमुख के मुख्यमंत्री काल में नगर रचना विभाग के मुख्य सचिव टी सी बेंजामिन के समक्ष इन लोगो के मामले की सुनवाई हुई जिसमे इन्हे फिर से बहाल करने का आदेश दिया गया। सुभास घाटे इन लोगो का नेतृत्व कर रहे थे। राज्य में बीजेपी की सरकार आने के बाद उन्हें उम्मीद थी की इस मामले का निपटारा हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। रामगिरि में आंदोलन के बाद मनपा प्रशाषन को नगर रचना विभाग की तरफ से 17 लोगो की पुनः नियुक्ति के संबंध में पत्र आया। सुभास घाटे के अनुसार इस पत्र में किसी भी तरह का स्पस्ट आदेश न देते हुए मुद्दे को ही घुमा दिया गया है।

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