Published On : Thu, Nov 7th, 2019

शिवसेना को उसी के बुने जाल में उलझाएगी बीजेपी

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शिवसेना (Shiv Sena) की हरकतों से तंग आकर बीजेपी (BJP) ने रणनीति बदल ली है. बीजेपी ने मन बना लिया है सरकार बने या न बने, शिवसेना को वो ‘चित्त भी और पट भी’ करने की खुली छूट नहीं देने वाली है. आखिरी दौर में बीजेपी के खिलाफ शिवसेना के हमले तेज हो चले हैं. दरअसल, शिवसेना की कोशिश लोगों को ये समझाने की है कि ये बीजेपी ही है जिसकी वजह से स्पष्ट जनादेश के बावजूद महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पा रही है – लेकिन बीजेपी ने शिवसेना की इस चाल को मिट्टी में मिलाने की सियासी तैयारी पूरी कर ली है.

महाराष्ट्र में बीजेपी ने बदली रणनीति

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शिवसेना ने विधायकों को होटल भेजने के बाद बीजेपी पर नये सिरे से हमला शुरू कर दिया है. सबको मालूम है कि महाराष्ट्र में सरकार न बन पाने के लिए ज्यादा जिम्मेदार शिवसेना ही है, इसलिए बचाव में उसने नया हंगामा शुरू कर दिया है.

महाराष्ट्र में सरकार न बनने देने के लिए शिवसेना अब बीजेपी को जिम्मेदार बताने जुट गयी है. सरकार न बनने देने का आरोप खुद के उपर से बचने के लिए शिवसेना नेता संजय राउत ने एक ही सांस में कई बातें कह दीं – जिसे यह लगे की शिवसेना की तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी ही सरकार नहीं बनने दे रही है.

शिवसेना के ताजा हमले का फोकस बीजेपी को सरकार न बनने देने के लिए

जिम्मेदार साबित करना है – कम से कम संजय राउत की बातों से तो यही लगता है –

1. संजय राउत की दलील है कि बीजेपी का सरकार न बनाना महाराष्ट्र पर राष्ट्रपति शासन थोपने का प्रयास है जो जनता के साथ धोखा है.

2. अगर बीजेपी के पास बहुमत नहीं है तो सामने आकर कहे कि विपक्ष में बैठेंगे – अगर ऐसा नहीं होता ये महाराष्ट्र की जनता का अपमान है.

3. संविधान किसी की जागीर नहीं है. एक-एक पेच हमें भी मालूम है – और उसी संविधान के तहत हम महाराष्ट्र में शिवेसना का मुख्यमंत्री बनाएंगे.

4. राष्ट्रपति शासन के हालात पैदा कर बीजेपी बाबा साहेब भीमराव अंबडेकर का अपमान कर रही है – राज्यपाल से मुलाकात में उसे 145 विधायकों की लिस्ट सौंपनी चाहिये थी.

5. जनादेश सिर्फ महायुति को नहीं मिला है, बल्कि इस दौरान जो बातें हुई हैं उसको भी जनादेश मिला है.

बीजेपी ने भी शिवसेना के पैंतरे को देखते हुए रणनीति में संशोधन कर लिया है.

बीजेपी अब गठबंधन धर्म निभाने के नाम पर ही शिवसेना को घेरने की तैयारी कर रही है – और कोशिश है कि शिवसेना को उसी के दाव से शिकस्त दी जाये.

बीजेपी की नयी रणनीति को समझने के लिए सुधीर मुनगंटीवार की एक बात पर गौर करना जरूरी है. मुनगंटीवार का साफ तौर पर कहना है कि बीजेपी कभी अल्पमत की सरकार नहीं बनाएगी.

देवेंद्र फणडवीस कैबिनेट में वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया – सरकार के गठन के बारे में कई कहानियां मीडिया में चल रही हैं. RSS के मुख्यालय में फडणवीस का दौरा केवल संघ नेतृत्व को वस्तुस्थिति से अवगत कराना भर रहा.

हुआ ये कि देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर जाकर मोहन भागवत से मुलाकात की और सारे अपडेट शेयर किये. साथ में ये निवेदन भी कि वो शिवसेना को समझायें और सरकार बनाने के लिए तैयार करें. बीजेपी छोड़ कर चुनाव से पहले शिवसेना में जा चुके किशोर तिवारी की मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी में नितिन गडकरी को सरपंच बनाने की सलाह और मीटिंग में गडकरी की मौजूदगी ने कई समीकरण जोड़ कर पेश भी कर दिये.

जाहिर है ये चिट्ठी शिवसेना नेतृत्व की मंजूरी या हिदायत पर ही लिखी गयी होगी. संघ की ओर से न तो किशोर तिवारी के पत्र का जवाब आया और न ही मातोश्री को फोन. मीडिया से बातचीत में गडकरी ने भी कह दिया – ‘मैं दिल्ली में ही खुश हूं और वहीं अपना काम जारी रखूंगा. मेरे महाराष्ट्र वापस आने का सवाल ही नहीं है.’

संघ को बगैर शिवसेना सरकार मंजूर नहीं
मानना पड़ेगा, संघ ही वास्तव में बीजेपी का असली और सही मार्गदर्शक है. देखा जाये तो संघ प्रमुख की हिदायत में महाराष्ट्र में बीजेपी की राजनीतिक को लेकर दूर की सोच है. देखा जाये तो देवेंद्र फडणवीस को मोहन भागवत का मार्गदश्न नहीं मिलता तो शायद ही वो शिवसेना को उसी की चाल में कठघरे में खड़ा कर पाते.

1. शिवसेना की पोल खोल : बीजेपी पर सामना के जरिये जो इल्जाम शिवसेना ने लगाया है, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उसे लगता है काफी पहले ही भांप लिया था. देवेंद्र फडणवीस ने भागवत से जो भी उम्मीद पाल रखी हो, संघ प्रमुख की शिवसेना के बगैर सरकार न बनाने की सलाह ही अब बीजेपी के लिए पहली संजीवनी बूटी बन रही है.

शिवसेना ने सामना में ‘थैली’ का जिक्र और विधायकों को होटल भेज कर अपना इरादा जाहिर कर दिया – लेकिन बीजेपी को तो RSS की वैक्सीन पहले ही लग चुकी थी.

मुंबई मिरर ने फडणवीस और भागवत की मुलाकात पर सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. मुलाकात में भागवत ने, रिपोर्ट के मुताबिक, फडणवीस को साफ तौर पर कह दिया था कि अगर शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन हासिल कर रही है तो उसे आगे बढ़कर सरकार बनाने देना चाहिए. साथ में, बीजेपी के लिए सलाह रही कि वो विपक्ष में बैठ कर लोगों की सेवा के लिए तैयार रहे, लेकिन विधायकों की खरीद-फरोख्त जैसी गंदी राजनीति में किसी भी तरह शामिल न हो.

बीजेपी अगर सरकार बनाएगी ही नहीं तो शिवसेना के विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप अपनेआप हवा-हवाई हो जाएंगे. फिर शिवसेना नहीं बल्कि बीजेपी को हमलावर और आक्रामक होने का मौका मिलेगा.

2. राष्ट्रपति शासन की वजह शिवसेना : शिवसेना के बगैर सरकार बनाने का बीजेपी का फैसला ही साबित कर देगा कि राष्ट्रपति शासन के लिए कौन जिम्मेदार है?

3. किसने किया जनता का अपमान : संजय राउत ने कहा है कि बगैर बहुमत के बीजेपी का विपक्ष में न बैठना ‘महाराष्ट्र की जनता का अपमान’ है. शिवसेना के इस आरोप के खिलाफ बीजेपी ने हवा से हवा में ही मिसाइल दाग दी है. जाहिर है अगर बीजेपी सरकार नहीं बनाती तो विपक्ष में ही बैठेगी.

4. संविधान से खिलवाड़ : संजय राउत का दावा है कि संविधान का एक-एक पेच शिवसेना को भी मालूम है – और उसी के तहत पार्टी महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाएगी. ऐसा होता है तो बीजेपी हमला बोलेगी और शिवसेना को बचाव में उतरना पड़ेगा.

5. जनादेश किसे मिला है : शिवसेना कह रही है कि जनादेश सिर्फ महायुति को ही नहीं मिला है, बल्कि इस दौरान जो बातें हुई हैं उसको भी मिला है. वे बातें 50-50 वाली हैं.

लेकिन शिवसेना ने 50-50 जैसी बातों का जिक्र चुनाव नतीजे आने के बाद ही क्यों शुरू किया?

क्या बीजेपी के इस सवाल का जवाब शिवसेना दे पाएगी? अगर नहीं दे पायी, फिर तो शिवसेना को बीजेपी न सिर्फ खा जाएगी, बल्कि हजम भी बगैर किसी गोली के कर लेगी.

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