Published On : Wed, Nov 21st, 2018

काली रात के काले आगंतुक!

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… एस.एन. विनोद

“अब पानी सिर के उपर से बहने लगा है।”

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भारत के वित्त और विदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण,जिम्मेदार पद पर रह चुके,भारतीय जनता पार्टी के पूर्व कद्दावर नेता यशवंत सिन्हा के इन शब्दों की याद समचीनी होगी।लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ जब सिन्हा जी ने भाजपा के विद्रूप होते चेहरे को ले कर प्रधान मंत्री मोदी को खुला पत्र लिखा था,तब मेरी एक जिज्ञासा पर उन्होंने ये बात कही थी ।तब मीडिया प्रचारित मोदी की लोकप्रियता आसमान छू रही थी ।विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रुप में मोदी को तब स्थापित करने की होड़ मीडिया के बीच चल रही थी।

प्रयास सफल भी होते दिख रहे थे ।किन्तु,अचानक ये क्या?प्रधान सेवक कमीशनखोर भ्रष्ट और चौकीदार चोर दिखने लगा!क्यों और कैसे?पार्टी नेतृत्व ही नहीं,आम कार्यकर्ता भी आत्मावलोकन करें।दोषी कौन?

एक बंगारु लक्ष्मण को अपवाद के रुप में छोड़ दें,तो भाजपा के चाल-चारित्र-चेहरा को नेतृत्व ने हमेशा गौरवान्वित किया है ।पार्टी अध्यक्ष के रुप में सशक्त-स्वच्छ चेहरों की एक लंबी सूची चली आ रही थी ।पहली बार केन्द्र में सत्ता मिलने पर अटल बिहारी वाजपेयी जैसे सर्वमान्य,ईमानदार,सक्षम प्रधान मंत्री पार्टी ने देश को दिया।भारतीय लोकतंत्र आश्वस्त हुआ था कि परिवर्तन के लिए भाजपा का सर्वोत्तम विकल्प उपलब्ध है ।

फिर,कालिमायुक्त वर्तमान?
दोषी नेतृत्व-वर्तमान नेतृत्व!लोगबाग नेतृत्व में चाल-चारित्र-चेहरा को ढूँढ रहे हैं ।क्षमा करेंगे,पार्टी अध्यक्ष के रुप में वर्तमान चेहरा किसी को स्वीकार नहीं!पार्टी के करोड़ों समर्थक-प्रशंसक निराश हैं ।इस सच को स्वार्थी-चाटुकार स्वीकार नहीं करेंगे,अनुशासित कार्यकर्ता मुँह नहीं खोलेंगे,लेकिन पत्थर की लकीर की तरह ये सत्य कायम है।

इसी तरह,परिवर्तन और विकास के मोर्चे पर हर कोण से देश को निराश करने वाले ‘प्रधान सेवक ‘में अनुकरणीय “चाल-चारित्र” को ढूँढने वाले निराश हैं ।भारत जैसे महान देश के ‘प्रधान सेवक’ के सम्मान के कारण इस असहज वार्ता को विस्तार नहीं दे रहा,लेकिन मोटी लकीरों से चिन्हित कड़वा सच अब गली-कूचों में चर्चित है।

चारों तरफ अराजकता का माहौल!सरकारी विज्ञापनों और स्पष्ट कारणों से एकपक्षीय ढिंढोरा पिटने वाले मीडिया के दावों से इतर वर्तमान का काला सच ये कि सुशासन तो दूर शासन का भी कहीं अता-पता नहीं।जिसकी लाठी,उसकी भैंस को चरितार्थ करते ,अपनी डफली-अपना राग अलापते सत्ताधारी और इनसे जुड़े तत्व ज्वालामुखी के उदर में उबल रहे ज्वाला से अनजान हैं । जब वह फट कर बाहर आएगा,तब पार्टी के चेहरे को झुलसा, सर्वांग कुरुप बना डालेगा।इस संभावित कालिमा के अवतरित होने के पूर्व भाजपा नेतृत्व संशोधनात्मक कदम उठा ले।अन्यथा,अगले 50वर्षों तक राज करने का दावा,मात्र ढपोरशंखी दावा बन कर रह जायेगा।

ऐसे में गौरवशाली चाल-चरित्र-चेहरा के साथ भारतीय जनता पार्टी आम लोगों की अपेक्षाओं की ईमानदार पूर्ति कर ही सत्ता में कायम रह सकती है।

और ये तभी संभव होगा, जब नेतृत्व आभा- युक्त निर्मल,पवित्र,अनुकरणीय चाल-चरित्र-चेहरा को सौंपा जाये ।

अर्थात् परिवर्तन!जी हाँ, आमूल-चूल नेतृत्व परिवर्तन!!

कालीरात के काले आगंतुकों की विदाई समय की मांग है।और तभी पार्टी की आभामय जीवंतता कायम रहेगी ।

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