Published On : Fri, Aug 3rd, 2018

देश के माहौल पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- लोग आते हैं और बसों में आग लगा देते हैं

Advertisement

bombay-high-court

बॉम्बे हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने गुरुवार को कहा है कि देश इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा है, जिसमें कोई व्यक्ति स्वतंत्र होकर ना कुछ कह सकता है और ना ही घूम सकता है। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डांगरे की पीठ ने अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पन्सारे के परिजनों द्वारा दाखिल की गई एक याचिका पर टिप्पणी करते हुए ये बातें कहीं।

बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि हम आज देश में एक बुरे दौर के गवाह बन रहे हैं। देश के नागरिकों को लगता है कि वो अपनी आवाज स्वतंत्र होकर और बिना किसी परेशानी के नहीं कह सकते हैं। क्या हम ऐसा दिन देखने जा रहे हैं, जब हर कोई व्यक्ति को खुलेआम बोलने और घूमने के लिए पुलिस सुरक्षा की जरुरत होगी?

Today’s Rate
Tuesday 12 Nov. 2024
Gold 24 KT 75,900 /-
Gold 22 KT 70,600 /-
Silver / Kg 90,000 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

हाईकोर्ट बेंच ने कहा कि आज देश में क्या हो रहा है? लोग आते हैं और बसों में आग लगा देते हैं, पत्थरबाजी करते हैं। ऐसा लगता है कि ये सब मुफ्त हैं? हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं? एक देश है और एक सरकार है, कल सरकार बदल सकती है, लेकिन देश का क्या?

यह करोड़ों लोगों का घर है? क्या अपने मन की बात कहने के लिए कल सभी लोगों को पुलिस प्रोटेक्शन लेनी पड़ेगी? बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने दाभोलकर और पन्सारे की हत्या के मामले में केन्द्र और राज्य सरकार की जांच पर नाखुशी जाहिर करते हुए ये बातें कही हैं।

20 अगस्त, 2013 को नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। वहीं पन्सारे को 16 फरवरी, 2015 में कोल्हापुर में गोली मारी गई थी, जिसके 4 दिन बाद उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।

बता दें कि नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पन्सारे के परिजनों ने कोर्ट की निगरानी में दोनों की हत्या की निष्पक्ष जांच कराने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की है। हालांकि सीबीआई और महाराष्ट्र सीआईडी की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम मामले की जांच में जुटी हैं। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच एजेंसियों और महाराष्ट्र गृह मंत्रालय से इन मामलों की रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था।

इस पर जांच एजेंसियों और गृह मंत्रालय ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। इस पर कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर नाराजगी जतायी है। कोर्ट ने जांच एजेंसियों से सवाल करते हुए पूछा कि क्या आप इसी तरह से समाज के खिलाफ हो रहे अपराधों की जांच करते हैं?

Advertisement