नागपुर: नागपुर में उत्तर प्रदेश एटीएस के द्वारा कथित आईएसआई एजेंट – डीआरडीओ के सीनियर वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल की गिरफ्तारी के एक दिन बाद गृह मंत्रालय को इस संबंध में रिपोर्ट सौंपी गई है। आरोप है कि उसने ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट से अहम तकनीकी जानकारियां चोरी कर अमेरिका और पाकिस्तान में खुफिया लोगों तक पहुंचाईं। बताया जा रहा है कि इंजीनियर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की एक महिला एजेंट के जाल में फंसा था। यूपी के एटीएस का दावा है कि नागपुर की डीआरडीओ लैब से गिरफ्तार किए गए अग्रवाल का भी वही हैंडलर हो सकता है जो बीएसएफ के अच्युतानन्द मिश्रा का था। गौरतलब है कि मिश्रा को भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने एक सुंदर महिला के जरिये जाल में फंसाया था।
आईजी (एटीएस) असीम अरुण ने कहा कि नागपुर से गिरफ्तार किए गए अग्रवाल के कम्प्यूटर में कई संवेदनशील जानकारियां मौजूद थीं। हमें उसके एक पाकिस्तानी से फेसबुक पर चैटिंग के सबूत मिले हैं।
40 लोगों की टीम को लीड करता था आरोपी
जानकारी के मुताबिक, आरोपी निशांत अग्रवाल डीआरडीओ के ब्रह्मोस एयरोस्पेस में चार साल से सीनियर सिस्टम इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। वह हाइड्रोलिक-न्यूमेटिक्स और वारहेड इंटीग्रेशन (प्रोडक्शन डिपार्टमेंट) के 40 लोगों की टीम को लीड करता है।
निशांत ब्रह्मोस की सीएसआर और आरएनडी ग्रुप का सदस्य भी है। फिलहाल, वह ब्रह्मोस के नागपुर और पिलानी साइट्स के प्रोजेक्ट का कामकाज देख रहा था। पिछले साल यूनिट से उसे युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार मिला था।
सोशल मीडिया से जानकारी भेजता था आरोपी
बताया जा रहा है कि आरोपी दिल्ली में मौजूद सीआईए (अमेरिकी खुफिया एजेंसी) की एजेंट और पाकिस्तान के हैंडलर के संपर्क में था। वह मिसाइल तकनीक की जानकरियां भेजने के लिए सोशल मीडिया के इन्क्रिप्टेड, कोडवर्ड और गेम के चैट जोन का इस्तेमाल कर रहा था।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं। पूछताछ में पता लगाया जा रहा है कि आरोपी ने मिसाइल से जुड़ी कौन-कौन सी सूचनाएं लीक की है। इससे पहले रविवार रात को कानपुर से एक महिला को पकड़ा गया था।
300 किलोमीटर तक मार कर सकती है ब्रह्मोस
सेना के जंगी बेड़े में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल परमाणु हथियारों के साथ हमला करने में सक्षम है। यह 3700 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार से 290 किलोमीटर तक मार करती है। कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के कारण राडार की पकड़ में नहीं आती है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है।