नागपुर: सिटी के एयरपोर्ट का उपयोग पूरे विदर्भ के लोग करते हैं. आज प्रति दिन औसतन 10,000 से अधिक यात्रियों का आना जाना है. ऐसे में एयरपोर्ट से संपूर्ण विदर्भ के लिए अलग-अलग बस सेवा शुरू की जाती है, तो जहां यात्रियों को भारी सहूलियत होगी, वहीं शिवशाही को भी मुनाफा कमाने का मौका मिल जाएगा. इसके लिए उच्च स्तर पर विचार-मंथन करने की जरूरत है. हालांकि यह शुरुआत निश्चित रूप से दोनों ही लोगों के लिए ‘विन-विन’ पोजिशन साबित हो सकता है.
एयरपोर्ट से यात्रा करने वालों के लिए आज टैक्सी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. लोग मजबूरी में ऊंची कीमतों में टैक्सी लेने को मजबूर हैं. विदर्भ से आने-जाने वाले यात्री यहां से टैक्सी लेते हैं और बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के लिए जाते हैं और फिर वहां से बस, रेल की सवारी करते हैं. ऐसे में अगर एयरपोर्ट पर ही उन्हें बस सेवा मिल जाए, तो उसकी यात्रा सुखद हो सकती है.
मुंबई में हुआ प्रयोग
एस टी महामंडल ने मुंबई में शिवशाही ने इस प्रयोग को अमल में लाया है और उन्हें भरपूर प्रतिसाद भी मिल रहा है. मुंबई एयरपोर्ट से पुणे के लिए ए.सी. बस सेवा शुरू की गई है, जो काफी फलदायी साबित हो रहा है. प्रति दिन 18 फेरी बस कर रही है.
विमान टाइमिंग पर हो सेवा
एस. टी. महामंडल एयरलाइंस कंपनियां और एयरपोर्ट अथारिटी से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर सकती हैं और योजना को हकीकत में बदल सकती हैं. अगर विमान के आने जाने के टाइम को ध्यान में रखकर बस सेवा शुरू की जाती है, तो निश्चित रूप से यात्रियों को काफी सुविधा हो सकेगी. विमान से उतरने के बाद उन्हें इधर-उधर जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और उनकी बचत भी होगी.
इन रूटों पर हो शुरू
एयरपोर्ट से वर्धा, यवतमाल, पुसद, अमरावती, अकोला, चंद्रपुर, गोंदिया, सिवनी, छिंदवाड़ा और बैतूल के लिए ए. सी. बस सेवा शुरू की जा सकती है. इन मार्गों के लोग बड़े पैमाने पर मुंबई, दिल्ली विमान सेवा का उपयोग कर रहे हैं. एयरलाइंस कंपनी से इसका आंकड़ा भी मिल सकता है. किस मार्ग से लोग विमान सेवा का सर्वाधिक इस्तेमाल कर रहे हैं. उस मार्ग पर ज्यादा बस सेवा मुहैया कराई जा सकती है. आगमन और प्रस्थान के टाइमिंग को अगर मेंटेन किया जाता है, तो निश्चित रूप से संपूर्ण विदर्भ के यात्रियों को बड़ा लाभ होगा.
स्टेशन और बस स्टैंड भी जुड़े
इसके साथ ही अगर एस. टी. महामंडल या सिटी बस सेवा संचालक एयरपोर्ट से विमान के टाइम पर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड तक बस सेवा शुरू करते हैं, तो भी यात्रियों को काफी राहत मिल सकती है. बड़े शहरों में इस प्रकार का नियोजन देखते ही बनता है, परंतु नागपुर में अब तक इस प्रकार के नियोजन को अमलीजामा नहीं पहनाया गया है, जबकि आज हजारों की संख्या में प्रति दिन यात्री यात्रा कर रहे हैं.
मेट्रो पर न रहे निर्भर
आज योजनाकारों की बात करते हैं, तो वे सभी मेट्रो के भरोसे ही बैठे हैं. वास्तविकता यह है कि केवल मेट्रो के भरोसे हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा जा सकता है. जब मेट्रो की सेवा शुरू होगी, तब देखा जाएगा, तब तक हम अन्य माध्यमों का उपयोग कर लोगों को बड़े पैमाने पर राहत दे सकते हैं. वर्तमान स्थिति को देखते हुए तो नियमित ए.सी. बस सेवा की बात कम से कम की ही जा सकती है. नेताओं और अधिकारियों को इस मुद्दे पर निश्चित रूप से गंभीरता से सोचने का समय आ गया है कि कैसे हजारों विमान यात्रियों को राहत पहुंचाई जा सकती है.