– हटाए जाने वाले मंत्री प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए जुगाड़ में जुटे
नागपुर – मंत्रालय सूत्रों ने खबर दी कि जल्द ही त्रिपक्षीय सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रही हैं.इसके लिए तीनों पक्षों के प्रमुखों ने अपने-अपने कोटे से 3-3 मंत्री को मंत्रिमडल से बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय लिया हैं.इस क्रम में कांग्रेस कोटे से जिले के एक मंत्री को हटाया जा सकता हैं.जिसका आभास होते ही संदिग्ध वह मंत्री कांग्रेस पक्ष के नए प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए लगातार दिल्ली के संपर्क में हैं.
रोजाना राज्य सरकार अपने करतूतों के कारण सत्ता में बने रहने के लिए उठापठक कर रही.
अभिनेता स्वर्गीय सुशांत मामले में शिवसेना अपने पक्ष के विशिष्ट जनप्रतिनिधि व् उसके करीबी कांग्रेसी जनप्रतिनिधि को बचाने के लिए प्रमुख आरोपी रिया चक्रवर्ती को खुलेआम मदद कर रही,शायद इस दर से कहीं वह विभिन्न जाँच के दौरान उक्त दोनों जनप्रतिनिधियों से रिश्ता होने की बात बयां में दे दी तो शिवसेना को नैतिकता के आधार पर सत्ता से महरूम होना पड़ सकता हैं.
एनसीपी इन दिनों उनके सुप्रीमों के परिवार में अंतर्गत अस्तित्व की लड़ाई में उलझी हुई हैं.सुप्रीमो और उनके समर्थकों को डर हैं कि अगर बगावत हुई तो बगावत करने वाले एनसीपी के कुछ को फोड़ कर भाजपा से हाथ मिला ले तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी,फिर सुप्रीमों खालीपीली हो जाएंगे।कांग्रेस अपने गुटबाजी से काफी अड़चन में हैं कोई माँ का तो कोई बेटे का और कोई खुद के अस्तित्व के लिए आये-दिन सार्वजानिक बयानबाजी से पक्ष को झकझोर रखा हैं.राज्य में सत्ता का तीसरा धड़ा होने के बावजूद मंत्रियों की मनमानी या फिर निष्क्रियता से पक्ष काफी अस्वस्थ्य हैं.
वहीं दूसरी ओर विपक्षी भाजपा सत्ता से महरूम होते ही पुनः सत्ता प्राप्ति को लेकर छटपटा रही हैं.इसलिए सुशांत मर्डर,कंगणा रनौत के बिंदास बोल व सोनू सूद के सामाजिक काम को बिहार विधानसभा चुनाव में भुनाने के लिए तीनों मामलों को विभिन्न तरीके से हवा दे रही.
सत्ताधारी तीनों पक्षों के प्रमुख ने उक्त समस्या आदि अन्य समस्याओं से निजात पाने व कार्यकाल पूर्ण करने तीनों पक्षों ने अपने-अपने कोटे से 3-3 मंत्रियों को बदलने का निर्णय लिया।जिसका असर जिले में पड़ने की संभावना से स्थानीय अनुभवी दिग्गजों द्वारा इंकार नहीं किया जा रहा.इस क्रम में जिले में 2 कैबिनेट मंत्री हैं,जिनमें से एक विवादस्पद मंत्री को आभास हो गया कि हटाए जाने वाले मंत्रियों में उनका नाम हैं तो वे मुँह की खाने के बजाय राज्य में पक्ष अंतर्गत प्रदेशाध्यक्ष पद प्राप्ति के लिए पुरजोर ताकत लगा रहे.
इनका कोरोना काल में बतौर मंत्री साधारण परफॉर्मेंस रहा.वे दोहरी जिम्मेदारी लेने के बाद खुद के विधानसभा के कुछ विशिष्ट इलाके तक सिमित रहे.जिले में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किये,उलट गुटबाजी को हवा दिए.
इसकी भनक जिले के अन्य कांग्रेसी विधायकों को मिलते ही मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए वे भी अपने स्तर से सक्रिय होने की कबूली दी हैं.अब देखना यह हैं कि राज्य में उक्त बदलाव कब होता हैं ?