नागपुर: विधान परिषद में राज्य में शिक्षा संस्थाओं द्वारा करीब 977.24 करोड़ रुपये की शिष्यवृत्ति घोटाले की सीबीआई जांच की मांग ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से विधायक नागो गाणार, अनिल सोले, गिरीश व्यास व परिणय फुके ने उठाया. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में दृष्टित बहुउद्देशीय शिक्षण पर्यटन व पर्यावरण विकास संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
कोर्ट ने सरकार, एसआईटी व संबंधित प्रतिवादी को नोटिस जारी कर 14 फरवरी तक उत्तर सादर करने का आदेश दिया था. उसके अनुसार सरकार ने 977.24 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने, उसकी जांच प्रक्रिया शुरू होने व अनधिकृत तौर पर शिष्यवृत्ति उठाने वाली संस्थाओं को वसूली का नोटिस जारी करने का शपथपत्र हाईकोर्ट में सादर किया था.
सवाल किया गया कि ऐसी संस्थाओं से वसूली कब तक की जाएगी. सदस्यों का कहना था कि विद्यार्थियों को 2-3 वर्ष देरी से स्कालरशिप दी जा रही है. इसका सरकार के पास क्या जवाब है.
कोर्ट निर्णय के बाद कार्रवाई
सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले ने अपने जवाब में कहा कि मामला हाईकोर्ट में चल रहा है जिसकी सुनवाई 2 नवंबर को है. अदालत के फैसले के बाद सरकार उसके अनुसार कार्रवाई करेगी. अदालत के निर्देश प्राप्त होने के बाद ही जांच सीबीआई को दी जाए या अन्य माध्यम से हो इसका निर्णय लिया जाएगा.
बच्चों को स्कालरशिप देरी से मिलने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संदर्भ में डीबीटी के माध्यम से विद्यार्थियों के बैंक खाते में सीधे रकम जमा करने और कालेज की फीस कालेज के खाते में जमा करने की व्यवस्था की है.
एक अन्य विधायक ने सवाल किया कि वर्ष 2013-14 की स्कालरशिप अनेक विद्यार्थियों को अब तक नहीं मिली है, इस पर मंत्री ने कहा कि 1-2 महीने में सभी को उनकी शिष्यवृत्ति दे दी जाएगी.