Published On : Fri, Apr 21st, 2023
By Nagpur Today Nagpur News

कांग्रेस क्यों बोली- ये तो होना ही था

J-K के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को CBI का समन
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नई दिल्‍ली: जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने तलब किया है। उनसे 27 या 28 अप्रैल को पेश होने को कहा गया है। मलिक ने खुद इसकी जानकारी दी। यह और बात है कि जांच एजेंसी ने मलिक के इस दावे की पुष्टि नहीं की है। सत्‍यपाल मलिक ने बताया है कि जांच एजेंसी ने उन्‍हें जम्मू-कश्मीर में कथित बीमा घोटाले के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाया है। उनसे दिल्ली कार्यालय आने के लिए कहा गया है। इस पर कांग्रेस की तुरंत प्रतिक्रिया आ गई। उसने कहा कि ये तो होना ही था। आखिरकार पीएम मोदी से रहा न गया। मलिक बीते कई सालों से मोदी सरकार के धुर आलोचक रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बताया कि सीबीआई ने 27 या 28 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में कथित बीमा घोटाले के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए उन्‍हें दिल्ली कार्यालय आने के लिए कहा है। रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से जुड़े बीमा घोटाले को लेकर वह कुछ चीजों को जानना चाहती है।

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खबर आते ही कांग्रेस की आई प्रतिक्रिया

यह खबर सामने आते ही तुरंत कांग्रेस की प्रतिक्रिया आ गई। उसने ट्वीट करते हुए कहा- आखि‍रकार पीएम मोदी से रहा न गया। सत्यपाल मलिक ने देश के सामने उनकी कलई खोल दी। अब CBI ने मलिक को बुलाया है। ये तो होना ही था। अपने ट्वीट में कांग्रेस ने मीडिया को भी निशाना बनाया। पार्टी ने कहा- एक चीज और होगी। ‘गोदी मीडिया’ अब भी चुप रहेगा, लिखकर रख लीजिए।

मल‍िक कर चुके हैं दावा- र‍िश्‍वत की पेशकश हुई थी

2018 में सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर का गवर्नर बनाकर भेजा गया था। उनके कार्यकाल में ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। फिर उन्‍हें मेघालय का राज्‍यपाल बनाकर भेजा गया था। सत्‍यपाल मलिक ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर में बतौर राज्‍यपाल उनके कार्यकाल के दौरान उन्‍हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए रिश्‍वत की पेशकश की गई थी। इनमें से एक फाइल अंबानी और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्‍यक्ति की थी। वह तत्‍कालीन महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री थे। यही नहीं, ये मंत्री खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी होने का दावा करते थे। मलिक ने इन दोनों ही फाइलों को आगे बढ़ाने से रोक दिया था। उन्‍होंने बताया था कि इन दोनों फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्‍हें 150-150 करोड़ रुपये की रिश्‍वत दी जा रही थी। सचिवों ने उन्‍हें यह बात बताई थी।

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