– प्रशासन की चुप्पी से मनपा वित्त (FINANCE) व लोककर्म विभाग (PWD) में भ्रष्टाचार सर चढ़ बोल रहा
नागपुर – यह कड़वा सत्य हैं ,जब शहर में मनपा द्वारा सीमेंट सड़क निर्माण का निर्णय हुआ,शहर में प्रत्यक्ष रूप से एक भी स्थानीय ठेकेदार या ठेकेदार समूह को इसका रत्तीभर अनुभव नहीं था.इसके बाद JOINT VENTURE या फिर बाहरी अनुभवी कंपनी के मार्फ़त ठेका हथिया गया.दूसरी ओर मनपा प्रशासन ने वैसे अधिकारी को सीमेंट सड़क निर्माण की सम्पूर्ण जिम्मेदारी दी,जो अनुभवहीन था लेकिन था जुगाड़ू और अनुभवी अधिकारी मूक प्रदर्शन कर रहे थे.उक्त घटनाक्रम के मध्य एक मामला प्रकाश में आया,जिसका LEAD PARTNER का सम्पूर्ण दस्तावेज गायब हैं या कर दिया गया.जिसकी प्राप्ति के लिए यह जवाब दिया गया कि सम्बंधित ठेकेदार कंपनी से RECOVER किया जाएगा।
याद रहे कि निम्न आवेदक ने पहले मनपा लोककर्म विभाग के अधीक्षक अभियंता मनोज तालेवार से उक्त जानकारी मांगी,उन्होंने आनाकानी बाद अपने उपअभियंता उइके से मांग अनुरूप जानकारी देने का निर्देश दिया।उइके ने लकड़गंज जोन के तत्कालीन उपअभियंता गेडाम से संपर्क करने का निर्देश दिया।गेडाम से संपर्क किया तो उसने तालेवार का हवाला देकर आरटीआई के तहत मांगने का निर्देश दिया। आरटीआई कार्यकर्ता ने लकड़गंज जोनल कार्यालय के दोनों ओर की सीमेंट सड़क से सम्बंधित जानकारी मांगी।डेढ़ माह बाद सम्बंधित जोन के सम्बंधित अधिकारी ने कुल 8 मुद्दों में से २ मुद्दों का आधा-अधूरा जानकारी दिया।अर्थात शेष काम के मुद्दों की जानकारी के लिए वित्त विभाग का वास्ता दिए और एक मुद्दे के लिए जिस समूह की जानकारी मांगी जा रही थी उसे पत्र लिख अनुमति मांगी।
इस सम्बन्ध में वर्त्तमान उपअभियंता का कहना हैं कि आवेदक अपील में जाए तो अविलंब शेष जानकारी उन्हें मिल जाएंगी।
वहीं सम्बंधित कार्यकारी अभियंता का कहना हैं कि उनके कार्यालय में जितने भी कागजात उपलब्ध थे,उनकी सतप्रत दे दी गई.अपील के तहत मांगी गई जानकारी के लिए अधीक्षक अभियंता कार्यालय को सूचित करेंगे,जबकि टेंडर प्रक्रिया बाद के कागजात अधीक्षक अभियंता कार्यालय में हैं,क्यों-कैसे यह सवाल करने का अधिकार नीचे के अधिकारी को नहीं होता हैं।
इस मामले में घाघ अधीक्षक अभियंता मनोज तालेवार का सीधा जवाब देने के बजाय अपना पल्ला झाड़ या तो कॉल नहीं उठाते या फिर कह रहे कि जो कागजात नहीं हैं ,वह ठेकेदार कंपनी से मंगवा कर दे देंगे।अर्थात बोगस टेंडर प्रक्रिया,फिर इसका भुगतान भी बोगस पद्धति से होंगा।
वहीँ वित्त विभाग इस संबंध में चुप्पी साधे हुए हैं.उक्त घटनाक्रम से मनपायुक्त,मुख्य अभियंता,अधीक्षक अभियंता,कार्यकारी अभियंता और सम्बंधित A G ऑफिस अवगत करवाने के बाद भी किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रहे.
उल्लेखनीय यह हैं कि उक्त काम किसी और कंपनी के अनुभव के आधार पर प्राप्त किया गया,लेकिन मनपा में सम्पूर्ण व्यवहार सहयोगी कंपनी के नाम हो रहा.प्रधान व अनुभवी कंपनी के कागजात या तो गायब कर दिए गए या फिर तत्कालीन मुख्य अभियंता,अधीक्षक अभियंता,कार्यकारी अभियंता स्तर पर छिपाई जा रही.क्या मनपायुक्त उक्त धांधली को गंभीरता से लेंगे या फिर चुप्पी साध आरटीआई आवेदक को न्यायालय में गुहार करने के लिए प्रेरित करना ठीक समझेंगे !