Published On : Fri, Oct 2nd, 2020

सीमेंट सड़क निविदा सह भुगतान घोटाला,मुख्य सूत्रधार मनोज तालेवार

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– मामला दबाने के लिए हाथ-पाँव मार रहे,मनपा प्रशासन मौन

नागपुर – लकड़गंज जोन के तत्कालीन कार्यकारी अभियंता मनोज तालेवार और उप अभियंता गेडाम सह मनपा वित्त विभाग की मिलीभगत से सीमेंट सड़क निविदा घोटाला करने के साथ सम्बंधित ठेकेदार कंपनी के निजी खाते में भुगतान करने का सिलसिला जारी हैँ.फ़िलहाल उक्त दोनों विवादस्पद अधिकारी का लकड़गंज ज़ोन से तबादला सह तालेवार को पदोन्नत कर दिया गया.वहीं गेडाम नगर रचना/प्रकल्प विभाग में पिछले माह तबादला किया गया.इसके बावजूद उक्त विवादस्पद कंपनी के अंतिम भुगतान ( final bill ) देना शेष हैं,जिसको उक्त दोनों अधिकारी पुरानी तारीख (back date) में हस्ताक्षर कर एक और घोटाले को अंजाम देने के फ़िराक में लीन हैं.

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मनपा में मनपायुक्त राधाकृष्णन बी,तीन अतिरिक्त आयुक्त,आधा दर्जन उपायुक्त,मुख्य लेखा व वित्त अधिकारी मुख्य अभियंता,अधीक्षक अभियंता,दर्जनभर वार्ड अधिकारी सिर्फ कागजी घोड़े साबित हो रहे.

इनके नाक के नीचे हो रही धांधली तो दिख नहीं रही,साथ ही सबूत सह लिखित स्वरुप जानकारी देने के बावजूद उक्त अधिकारियों में से संबंधितों द्वारा चुप्पी साधे रखना घोटालेबाज अधिकारी और सम्बंधित ठेकेदार कंपनी के हौसले बुलंद कर रहा.

मनपा आयुक्त,मुख्य अभियंता,प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी को अबतक २ दफे लकड़गंज जोन अंतर्गत सीमेंट सड़क फेज २ के पॅकेज १७ और १८ से सम्बंधित हुई धांधली का साबुत सह जानकारी पिछले १ माह के भीतर २ दफे दिया गया.लेकिन उक्त अधिकारियों ने अबतक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया।उलट सम्बंधित ठेकदार कंपनी अपना अंतिम भुगतान के लिए दौडमभाग कर रही,जिसे सफल अंजाम देने के लिए मनोज तालेवार और गेडाम सक्रिय हैं.

मामला यह हैं कि सीमेंट सड़क फेज-२ के लिए मनपा प्रशासन ने निविदा जारी की,मनपा प्रशासन के सम्बंधित अधिकारियों ने नियम व शर्तों को तोड़-मड़ोड़ कर कागजों पर बोगस कंपनी को ठेका दे दिया।जिसके आधार पर ठेका दिया गया वह मूल कंपनी का मनपा वित्त विभाग में नामो-निशान नहीं हैं.अबतक हुए भुगतान भी बोगस खाते में कर दिया गया.अंतिम भुगतान भी उसी बोगस खाते में करने के लिए तालेवार,गेडाम सह वित्त विभाग सक्रिय बतलाई जा रही हैं.

उक्त मामले की जानकारी देने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता को पिछले २ माह से मनोज तालेवर और तत्कालीन उप अभियंता गेडाम चक्करें लगवा रहे,रट-गाते आधे-अधूरे कागजात दे रहे.अपील करने के बाद तत्कालीन उप अभियंता गेडाम से लाकर दे रहे.अब सवाल यह होता हैं कि
१- गेडाम आखिर अपने कब्जे में उक्त कागजात क्यों रखा
२- जबकि लकड़गंज जोन के वर्तमान उप अभियंता के पास रखी फाइल में होनी चाहिये थी
३- या फिर गेडाम उक्त ठेकेदार कंपनी से कागजात उपलब्ध करवा के दे रहा
४- इसका पॅकेज १८ में बिना लीड पार्टनर के कागजात के ठेका दिया गया

उक्त सवालात करने पर अधीक्षक अभियंता मनोज तालेवार न मौखिक और न ही लिखित जवाब दे रहे.दरअसल इन्हें कभी सीमेंट सड़क निर्माण का अनुभव था ही नहीं।

मनपा को चुना लगाने वाले विवादस्पद अधिकारी तालेवार और गेडाम का मनपा में जुगाड़ काफी मजबूत हैं.तालेवार को तत्कालीन मनपायुक्त मुद्गल-मुंढे ने काफी लताड़ा था,निलंबित करने की नौबत भी आन पड़ी,फिर ठंडे बास्ते में मामला चला गया.साथ ही समय के पूर्व मनपा में बड़े और मलाईदार पदों पर भी आसीन हो गए.

उल्लेखनीय यह हैं कि समय रहते वर्त्तमान मनपायुक्त,अतिरिक्त आयुक्त ,मुख्य अभियंता और प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी ने उक्त मामले पर आरटीआई आवेदक द्वारा सुपुर्द किये गए लिखित जानकारी सह संलग्न सबूतों के आधार पर आवेदक के मांग के हिसाब से कार्रवाई नहीं किया तो यह समझा जाए कि उक्त आला अधिकारी वर्ग आरटीआई कार्यकर्ता को न्यायालय की शरण में जाने के लिए प्रेरित कर रहा.

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