Published On : Mon, Sep 2nd, 2019

महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दौरे के बाद मुंबई में सचिवों के साथ केंद्रीय दल की बैठक

Advertisement

– अब हम सहायता के लिए केंद्र सरकार को विस्तृत जानकारी (ज्ञापन) सौंपेंगे

– राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल की जानकारी

Gold Rate
Monday 31March 2025
Gold 24 KT 90,500 /-
Gold 22 KT 84,200 /-
Silver / Kg 101,500 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

मुंबई: महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल उम्मीद जताई कि राज्य के कोंकण और पश्चिमी महाराष्ट्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने वाला केंद्रीय दल बाढ़ से हुई तबाही की पूरी जानकारी केंद्र सरकार सामने रखेंगा और महाराष्ट्र को केंद्र से आवश्यकता के अनुसार मदद मिलेगी।

राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों के बचाव और मदद के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 6800 करोड़ रुपये की मांग करते हुए एक ज्ञापन भेजी है और केंद्रीय दल के प्रत्यक्ष निरीक्षण के बाद अब एक विस्तृत ज्ञापन प्रस्तुत किया जाएगा। केंद्र की मदद से पहले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत देने के लिए कई फैसले लिए हैं। राज्य सरकार उन फैसलों को कार्यान्वित कर रही है।

राज्य के राजस्व मंत्री श्री पाटिल ने आज सह्याद्री अतिथि गृह में आज केंद्रीय दल के सदस्यों की एक बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर मुख्य सचिव अजय मेहता के साथ-साथ राज्य के विभिन्न विभागों के सचिव भी उपस्थित थे। इस बैठक के दौरान केंद्रीय दल के सदस्यों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वास्तविक निरीक्षण के दौरान देखे गए नुकसान को दर्ज किया।

राजस्व मंत्री ने कहा कि 27 अगस्त को सात सदस्यों का एक केंद्रीय दल राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए राज्य के दौरे पर आई थी। केंद्रीय दल के दो समूह बनाए गए थे और दौनों दलों ने बाढ़ प्रभावित सांगली, सतारा, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगढ़, ठाणे और पालघर के आठ जिलों का दौरा किया था। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहायक सचिव डॉ. विथिरुप्पुज की अध्यक्षता वाले केंद्रीय दल में केंद्र सरकार के ऊर्जा, जल संसाधन, सड़क परिवहन, कृषि, ग्रामीण विकास और वित्त विभाग के अधिकारी शामिल किए गए थे।

श्री पाटिल ने बाढ़ के तुरंत बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करके बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए केंद्रीय दल का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर राजस्व मंत्री ने कहा था कि राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हुए नुकसान के लिए किसानों को उचित मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में न केवल खेत को नुकसान पहुँचा है, बल्कि इस इलाके में आवश्यक बुनियादी ढाँचे को भी बहुत अधिक नुकसान हुआ है। इस बार बाढ़ के कारण किसानों की फसलें तो नष्ट हुई हीं, इसका असर अगले दो तीन वर्षों तक दिखेगा।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि सांगली और कोल्हापुर में चंद दिनों में ही आम बारिश से दस गुनी अधिक बारिश हुई। इसके कारण अचानक आई आपदा ने भी लोगों को उससे निपटने का मौका ही नहीं दिया। इसके बावजूद दौनों जिलों में लगभग 7 लाख नागरिकों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। इस मौके पर मुख्य सचिव ने यह भी मांग की कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हुई तबाही के बदले मदद करते समय एनडीआरएफ के मौजूदा मानदंडों को बदला जाना चाहिए। कोल्हापुर और सांगली राज्य के सबसे अधिक कृषि आय वाले जिलों में से हैं। इन दोनों जिलों में बागों और खेती का बहुत अधिक नुकसान हुआ है।

मुख्य सचिव ने कहा कि लिहाजा गन्ने और अंगूर की फसल के मुआवजे के मौजूदा मानदंडों के बजाय अलग-अलग मापदंड तय किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोल्हापुर को दुग्ध उत्पादक जिले के रूप में जाना जाता है और यहां कृषि व्यवसाय व्यापक रूप से फैला है। दुग्ध व्यवसाय में महिलाओं की भागदारी सबसे ज्यादा हैं, लिहाज़ा, उन्हें मुआवजा देते समय इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इस साल विनाशकारी बाढ़ ने ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी सबसे ज्यादा तबाही मचाई। इसलिए, हाथ गाड़ी, टिटपरी और छोटे व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिए भी उचित मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि जो गांव बाढ़ के खतरे से घिरे हैं, वहां पुलों या सड़क का निर्माण राज्य सरकार के पास विचाराधीन है। इसके लिए भी पर्याप्त धन राशि की आवश्यकता है। राज्य सरकार की ओर से नदी के किनारों पर बसे गांवों को स्थानांतरित करके अन्य जगहों पर स्थायी मकान बनाने के उपाय किए जा रहे हैं। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, राज्य प्रशासन के विभिन्न विभागों के सचिव उपस्थित थे।

Advertisement
Advertisement