Published On : Mon, Jan 27th, 2020

आपली बस : मनपा की बचत, जनता की मुसीबत!

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– घाटे वाले मार्गों पर परिवहन बंद करने का निर्देश

Aapli Bus

नागपुर – नागपुर शहर में सार्वजनिक परिवहन बस सेवा ‘आपली बस’ अब महानगर पालिका के साथ साथ इसे संचालित करने वाली ठेकेदार कंपनी डिम्ट्स पर भी बोझ बन गई है। मनपा स्थायी समिति के नए सभापति ने शहर व ग्रामीण में दौड़ रही, कम मुनाफे के मार्गों की बसें बंद करने का निर्देश दिया है।
उक्त निर्देशों का पालन करने के लिए मनपा की ओर से बसों का संचालन करने वाली तथाकथित ठेकेदार कंपनी डिम्ट्स ने अंकेक्षण शुरू कर दिया। इस क्रम में जिन मार्गों के लिए कोई राजनीतिक दबाव नहीं है उन मार्गों की बसें जल्द बंद कर दी जाएंगी।

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अब सवाल यह हैं कि क्या केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसलिए उक्त नए सभापति को परिवहन समिति के लिए जिम्मेदारी दी इसलिए यह हथकंडा अपनाया जा रहा. अगर घाटा ही कम करने का उद्देश्य हो तो डिम्ट्स से करार के अनुसार काम लिया जाए और सेवा सुचारु रखने के लिए डीजल/पेट्रोल की खपत कम करने के लिए सीएनजी में बसें तब्दील करने पर जोर दिया जाए. फिर भी कुछ कमी रह जाए तो मनपा बजट में ६० से ७५ करोड़ का विशेष सुरक्षित राशि का प्रावधान किये जाने पर गंभीरता से चिंतन हो.

नागरिकों के लिए सार्वजनिक परिवहन दुनिया में किसी भी देश की रीढ़ होती है. दुनिया भर में यह लाभ के लिए नहीं बल्कि हर सरकार, अर्ध सरकार या स्थानीय निकाय के लिए दुनिया भर में एक घाटे का उपक्रम है और कानून और नियमों के अनुसार सार्वजानिक परिवहन संचालन पर टिकटिंग और निर्धारित खर्चों से अर्जित राजस्व को कवर करने के लिए स्थानीय निकाय द्वारा वहन किया जाता रहा हैं.फिर केंद्रीय स्तर पर हो या स्थानीय निकाय स्तर पर. यहां तक कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-डब्ल्यू और 243-पी के तहत, स्थानीय निकाय की अनुसूची XII जिम्मेदारी नागरिकों के प्रति सुनिश्चित की जाती है।

सार्वजनिक परिवहन बसों और साझा गतिशीलता में नागरिकों की संख्या जितनी अधिक होगी, दो पहिया वाहनों और कारों की संख्या कम होगी।इससे देश का राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम की बचत होगी जो एक राष्ट्रीय संपत्ति है, पेट्रोलियम आयात के लिए विदेशी मुद्रा, राजकोषीय घाटे को कम करने की दिशा में योगदान और दो पहिया वाहनों के साथ यात्रा करने वाले लोगों की कम संख्या के साथ समग्र प्रदूषण को कम करना और इस तरह से आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करना भी स्थानीय निकाय से लेकर केंद्र सरकार की अहम् जिम्मेदारियों में से एक हैं.

इसलिए प्रधान मंत्री और परिवहन मंत्री के दृष्टिकोण के तहत, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को पिछले कुछ वर्षों से मजबूत करने का प्रयास जारी है इस क्रम में भारत में 40 से अधिक शहरों में सीएनजी, इथेनॉल, इलेक्ट्रिक आदि जैसे डीजल के अलावा विभिन्न प्रकार के ईंधन के साथ परिचालन किया जाता है।

इसी दृष्टि के तहत नागपुर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली जिसे आमतौर पर ‘स्टार बस’ या स्थानीय भाषा में ‘आपली बस’ कहा जाता है- आपली बस में यात्रियों में वृद्धि, बेहतर सेवाएं, बेहतर रखरखाव, डीजल बस से सीएनजी बस में रूपांतरण, इलेक्ट्रिक बस की शुरूआत, शहर के विभिन्न और विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने और नागरिकों को बेहतर कनेक्टिविटी, समय की पाबंदी आदि का अनुभव करने में सक्षम बनाना मनपा प्रशासन व मनपा परिवहन विभाग की महत्वपूर्ण व पहली जिम्मेदारी हैं। इसी मनपा प्रशासन ने ‘आपली बस’ के अनुभवी ऑपरेटरों को सड़क पर न चलाने लायक 150 बस कुछ वर्ष पूर्व संचलन के लिए दी थी, पिछले ऑपरेटर को केंद्र सरकार की योजना के तहत ‘शोरूम बसें दी थी. पिछले ऑपरेटर पर मनपा का रत्तीभर अंकुश नहीं होने से अधिकांश बसें कबाड़ में तब्दील होने के कगार पर पहुँच चुकी थी,शेष सैकड़ों बसें कबाड़ का रूप ले चुकी हैं.जिसे कबाड़ की सूरत में बेचने का सिलसिला जारी हैं.

मनपा परिवहन सेवा को दुर्भाग्य से, नए नए परिवहन सभापति मिले जो अपने ही पार्टी के दूरदर्शी राष्ट्रीय स्तर के सोच रखने व अमलीजामा पहनाने वाले नेता नितिन गडकरी के स्वप्न प्रकल्प की खिलाफत कर रहे और उन्होंने डिम्ट्स ( मनपा पर बोझ ) को गलत दिशा-निर्देश दिए हैं.दिए गए निर्देशानुसार घाटे पर चल रही सभी मार्गों के बसों को बंद कर दिए जाए.यह भी कड़वा सत्य हैं कि शहर के प्रमुख बाहरी मार्ग वर्धा,भंडारा,उमरेड,जबलपुर,हिंगणा,काटोल,छिंदवाड़ा मार्ग को छोड़ कर शेष सभी मार्ग पर घाटे में बसें इसलिए दौड़ाई जा रही क्यूंकि यह सेवा हैं न कि व्यवसाय। सभापति के इस पहल से शहर के हज़ारों नागरिकों के विश्वास से पुनः छला जाने का संकेत मिल रहा हैं.

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