Published On : Tue, Apr 3rd, 2018

पुराने ढर्रे पर चल रहे प्रकोष्ठ को प्रभावी बनाना राऊत के लिए चुनौती


नागपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा राज्य के पूर्व मंत्री नितिन राऊत को कांग्रेस के एससी प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने से राऊत और उनके शुभचिंतक काफी प्रफुल्लित नज़र आ रहे हैं. पदभार ग्रहण कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सद्भावना मुलाकात भी कर चुके, लेकिन पद जितनी आसानी से प्राप्त किया ,यह पद राऊत के लिए व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी के साथ चुनौती भरा भी है.

याद रहे कि कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित राऊत को राष्ट्र का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान किया है. अगले १० माह बाद देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. देश के सम्पूर्ण एससी समुहाय के लिए आरक्षित लोकसभा क्षेत्रों का दौरा, समीक्षा सहित इन १० माह के भीतर कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में बतौर केंद्रीय अध्यक्ष उल्लेखनीय भूमिका निभाना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.

वैसे कांग्रेस के पास देश के सभी चुनावी क्षेत्रों का पूरा ही नहीं बल्कि शत-प्रतिशत लेखा-जोखा है. उसी के पन्ने पलटे गए तो खानापूर्ति होगी और प्रत्यक्ष हर जिलों का दौरा कर संकलन की गई जानकारी पद की गरिमा बढ़ा सकती है.

Gold Rate
Tuesday 18 Feb. 2025
Gold 24 KT 85,800 /-
Gold 22 KT 79,800 /-
Silver / Kg 96,900 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

इतना ही नहीं १० माह बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रत्येक लोकसभा क्षेत्रों में दलित मतदाता, दलित अनुभवी व युवा ऊर्जावान नेतृत्व को कांग्रेस की मुख्यधारा में लाते हुए उन्हें उनके गुणवत्तानुसार पद देकर उनसे पक्ष हित में लाभ उठाना चुनौती भरा साबित होगा.

आगामी लोकसभा चुनाव में एससी आरक्षित लोस सीटों पर सक्षम उम्मीदवार देने और उसे चुनवाकर लाना भी राऊत के महत्वपूर्ण कार्यों में एक होगा. उससे पूर्व कांग्रेस के एससी समुदाय के नेताओं से समन्वय साधना अपने आप में चुनौती होगा. इस श्रेणी के कई नेता सिर्फ लाभ का पद पाने के लिए आरक्षण का उपयोग करते आए हैं.

राऊत को दलित उत्थान और कांग्रेस के प्रति आकर्षित कर युवाओं को पक्ष के मुख्यधारा में लाने की शुरुआत नागपुर जिले से करनी होगी. इसके अलावा सिर्फ विदर्भ में अमरावती, रामटेक, बुलढाणा एससी आरक्षित लोकसभा क्षेत्र है, जिसमें से एक भी कांग्रेस के खाते में बतौर सांसद नहीं है, इन सीटों को भी हथियाना जिम्मेदारी का अहम हिस्सा रहेंगे.

Advertisement