चंद्रपुर। यूँ सर्दियों में कुहासा आम बात है, लेकिन महाराष्ट्र के एक प्रमुख औद्योगिक शहर चंद्रपुर में बारहों महीने सुबह के समय कुहासा सा छाया रहता है. यह कुहासा प्राकृतिक नमी से नहीं बल्कि धूल और धुएं की वजह से छाया रहता है. महराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने चंद्रपुर को राज्य में सर्वाधिक प्रदूषित शहर क्षेत्र घोषित किया है. मंडल ने इस क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कई उपाय भी सुझाए हैं, लेकिन सरकार और उद्योगपतियों ने इन सुझावों की अनदेखी कर यहाँ के निवासियों के जान से खेलने की कसम खा रखी है. बिजली उत्पादन केन्द्रों की चिमनियों से उठते धुएं, सीमेंट उद्योग, कोयला खदानों, लोहे और स्टील के कल-कारखानों, बल्लारपुर पेपर मिल और बड़ी संख्यां में सड़क पर दौड़ते यातायात की वजह से चंद्रपुर में कार्बन उत्सर्जन मियाद से कहीं ऊपर हो रहा है.
गत कई वर्षों र्से चंद्रपुर शहर और इस शहर से जुड़े हुए कस्बोंनगरों के नागरी जीवन पर इस प्रदूषण का भयावह असर हो रहा है. एक अध्ययन के मुताबिक इस क्षेत्र के नागरिकों की औसत आयु दस वर्ष कम हो चुकी है. महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा बारम्बार आगाह किे जाने के बाद अब प्रशासन नीरी और आईआईटी मुंबई के सहयोग से उपाय योजना बना रहा है. मालूम हुआ है कि यह उपाय योजना अपने अंतिम चरण में है. महत्वपूर्ण यह है कि उपाय योजना बनने के बाद इस पर अमल के लिए प्रशासन कितना उत्साह दिखाता है, क्योंकि योजना बनाने में ही उसके उत्साह फीका पड़ता दिखाई दे रहा है. चंद्रपुर स्थित एशिया के सबसे बड़े औष्णिक विद्युत केंद्र में प्रतिमाह 2340 मेगावाट बिजली पैदा होती है. इसके लिए यहां हर रोज 40 हजार टन कोयला जलाया जाता है. इस कोयले की राख जिसे ऐशफ्लाई कहते हैं, गंभीर त्वचा कैंसर रोग का कारक है. इस ऐश फ्लाई के सही व्यस्थापन की सुविधा नहीं होने से राख उठाने वाले ठेकेदार इसे कृषि योग्य भूमि पर फेंक कर भाग जाते हैं. इससे स्वास्थ्य के साथ-साथ किसानों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुक्सान भी उठाना पड़ता है, क्योंकि ऐश फ्लाई की वजह से किसानों की फसल को भारी नुकसान हो रहा है. यही नहीं, कोयला खदानों की वजह से समूचे चंद्रपुर जिले का जल-स्तर तेजी से घट रहा है.
मानक नियमों के अनुसार प्रति क्यूबिक मीटर 100 माइक्रोग्राम तक कार्बन उत्सर्जन मान्य है. विद्युत उत्पादन इकाइयों के लिए 150 माइक्रोग्राम तक छूट दी जाती है, लेकिन चंद्रपुर में इस समय प्रत्येक क्यूबिक मीटर पर 500 माइक्रोग्राम कार्बन उत्सर्जित हो रही है, इससे यहाँ के निवासियों के बदहाल स्वास्थ्य का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. चंद्रपुर कई मामलों में देश और दुनिया में ख्यात है, लेकिन बढ़ते श्वसन रोग, तेजी से घटती औसत आयु और औषधियों की बढ़ती खपत के लिए देश और दुनिया में कुख्यात होता जा रहा है. यदि समय रहते प्रदूषण की इस समस्या पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो चंद्रपुर दुनिया के सबसे खतरनाक शहर होने का कलंक अपने माथे लगा बैठेगा और इसके जिम्मेदार बेपरवाह उद्योगपति, लापरवाह प्रशासन और दोगले राजनेता होंगे.