नागपुर: राज्य सरकार ने विगत 9 फरवरी 2024 को एक अधिसूचना जारी किया है।जिस में राज्य अधिनियम 2013 में संशोधन करते हुए मुफ्त शिक्षा के अधिकार में प्रवेश देने के लिए सुधारना की है ।जिस में राज्य सरकार तथा निजी अनुदानित शाला जो पालक के घर से एक कि.मी. के अंतराल में आने पर पालक के शिशु को निजी शालाओं मे प्रवेश नहीं दिया जाएगा। आरटीई एक्शन कमिटी के चेयरमैन मो.शाहिद शरीफ ने बताया कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय मध्यवर्गीय पालकों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
क्योंकी आज के इस दौर में एक रिक्शा चालक भी अपने शिशु को मराठी माध्यम के स्कूल में भेजने की इच्छा नहीं रखता है।वहीं दूसरी ओर उपराजधानी नागपुर में मुख्य धारा अंग्रेज़ी भाषा की एक भी स्कूल मौजूद नहीं है।सनद रहे की जिले में लोअर इंग्लिश की उंगलियों पर गिने जानेवाली स्कूलें मौजूद है।
यह निर्णय पालकों के साथ घोर अन्याय वाला है। सरकार ने राशि की परिपूर्ति नहीं होने पर अधिसूचना तो जारी की है, वहीं दूसरी ओर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दे कर इस बात की स्वीकृति भी की है कि, केंद्र सरकार से आरटीई की अनुदान राशि प्राप्त हुई है।
लेकिन उस राशि का उपयोग सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों पर खर्च किया गया न की आरटीई के स्कूलों की थकित अनुदानित राशि की पूर्ति की गई है ।शिक्ष संचालक द्वारा आरटीई प्रक्रिया का परिपत्रक अब तक जारी नहीं किया गया है ।इस के कारण पलकों की चिंता और अधिक बढ़ गई है।