नागपुर: शहर कांग्रेस में इन दिनों कारण बताओ नोटिस को लेकर काफी गमागहमी मची हुई है। इस बीच सतीश चतुर्वेदी गुट के समर्थक कार्यकर्ताओं ने नोटिस भेजनेवाले कांग्रेस अध्यक्ष को नोटिस भेजने का अधिकार ही नहीं होने का दावा किया है। चतुर्वेदी समर्थकों की मानें तो प्रभारी अध्यक्ष इस तरह के कारण बताओ नोटिस नहीं जारी कर सकता है। वहीं विरोधी खेमे सेस शहर अध्यक्ष विकास ठाकने ने पलटवार करते हुए प्रदेशाध्यक्ष के आदेशों का पालन करने की बात कहते हुए चतुर्वेदी के अब किसी भी पद में नहीं होने का जवाब दे डाला।
बता दें कि मनपा चुनाव के दौरान उम्मीदवारी की टिकिट देने के दौरान यह विवाद शुरू हुआ था। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार के खिलाफ चतुर्वेदी-राऊत-अहमद ऐसे दो गुट बन गए थे। यही नहीं प्रचार के दौरान प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हान पर शाही फैंकी गई थी। इस दौरान यह विवाद औग गहरा गया। परिणाम स्वरूप कांग्रेस में एकरूपता ना होने से मनपा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी, मात्र 18 नगर सेवकों पर ही संतुष्ट होना पड़ा। यह विवाद विरोधी पक्ष नेता के नाम को लेकर भी जारी रहा। इसके बाद शहर में दो ्लग अलग कार्यक्रम लेने की शुरुआत एक ही पार्टी के भीतर शुरू हो गई। लेकिन दोबारा अशोक चव्हान की बहाली के बाद विवाद खत्म होने की उम्मीद लगाई जा रही थी लेकिन कारण बताओ नोटिस ने नए सिरे से कांग्रेस में पुराने जख्मों को हरा कर दिया है।