Published On : Wed, Jul 10th, 2019

बच्चा घर में.. आरोपी जेल में

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गोंदिया: अपहरण और फिरौती की खबरें यूपी, बिहार जैसे प्रदेशों से अकसर बाहर आया करती है लेकिन गोंदिया जिले की सड़क अर्जुनी तहसील के ग्राम घटेगांव स्थित जिला परिषद शाला से 7 वर्षीय रौनक वैद्य नामक बालक के अपहरण के बाद पुलिस भी इस बात को लेकर अचंभित थी कि, आखिरकार इतने छोटे से गांव से फिरौती के लिए किसी बच्चे का अपहरण कैसे हो सकता है?

जब 4 जुलाई को अपहर्णित बालक रौनक यह आरोपियों के चंगुल से सुरक्षित लौटा तो पुलिस ने इस साजिश में शामिल अपहरणकर्ताओं की तलाश तेज कर दी।

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जिला पुलिस अधीक्षक विनीता साहू ने बताया, बच्चा सेफली मिल गया, इसका अर्थ यह नहीं कि, हम रिलेक्स करें और हमारा काम खत्म हो गया? हमने आरोपियों की हर तरफ तलाश शुरू की इस दौरान गुप्तचर से पुख्ता जानकारी मिली कि, 5 संदिग्ध आसपास के गांव से फरार है तो फिर हमने 5 टीम बनाकर उनके हर लोकेशन को ट्रेस करना शुरू किया तथा मूमेंट पर वॉच रखी और फाइनली जब 5 संदिग्धों के विषय में हमें कन्फर्म हो गया

तो नागपुर भेजी गई 2 टीमों में से एक ने फुटाणा तालाब के निकट मंगलवार देर रात एक साथ 2 को दबोचा तथा दुसरी टीम ने एक की गिरफ्तारी नागपुर के बुटीबोरी इलाके से की , एक आरोपी को भंडारा से गिरफ्तार किया गया तथा एक सड़क अर्जुनी तहसील के ग्राम पांढरी से पकड़ाया। इस तरह 5 आरोपी- वैभव वासनिक (23 रा. घटेगांव, त.सडक अर्जुनी), शेखर शेंडे (23 रा. घटेगांव), प्रवीण पाटिल (22 रा. देवरी), राहुल गावड़ (19 रा. देवरी), सौरभ गायधने (19 रा. देवरी) इन्हें 10 जुलाई के मध्यरात्रि राऊंड अप किया गया।

बालक के पिता से 20 लाख की फिरौती वसूलना था मकसद
पुलिस अधीक्षक ने बताया- अपहर्णित बालक के पिता फिर्यादी गोपाल ईश्‍वरदास वैद्य यह बड़े कान्ट्रेक्टर है तथा जिला परिषद में सड़क निर्माण का ठेका लेते है तथा उनकी गांव में राशन की दुकान है और रेती ढुलाई हेतु उनके ट्रैक्टर किराए पर चलते है साथ ही गांव में बड़ी खेतीबाड़ी है और घटेगांव के सबसे संपन्न व्यक्तियों में आते है, इस बात की जानकारी निकालने के बाद आरोपियों ने रौनक के अपहरण की साजिश रची। उनका मकसद 2 दिन तक बच्चे को अपने कब्जे में रखने का था तथा उसके बाद छत्तीसगढ़ जाकर फोन द्वारा उसके ठेकेदार पिता से 15 से 20 लाख फिरौती वसूलने की उन्होंने योजना बना रखी थी।

2 युवक बच्चे को स्कूल से उठाने के बाद उसे मोपेड पर बिठाकर डव्वा मार्ग से देवरी ले गए जहां इस साजिश के मास्टर माईन्ड प्रवीण पाटिल के घर रात में बच्चे को रखा गया। आरोपियों ने एक साथी को रैकी हेतु पीड़ित पिता के घर के पास ही छोड़ रखा था तथा पुलिस के हर मूमेंट की जानकारी वह आरोपियों को उपलब्ध करा रहा था।

पुलिस, वारदात के बाद नाकाबंदी कर जगह-जगह टोह ले रही थी इसकी सूचना मिलने के बाद आरोपियों के हौसले पस्त हुए और पकड़े जाने के डर से उन्होेंने बालक रौनक को ग्राम शेंडा और पुतली के बीच स्थित जंगल में बोरे में डालकर फेंक दिया और फरार हो गए।

कोई एमबीए, तो कोई इंजीनियरः लेकिन सबकी अपनी आर्थिक परेशानियां
प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि, वे 15 से 20 लाख रूपये खंडनी (फिरौती) मांगने वाले थे।
हिरासत में लिए गए आरोपियों में से 3 लड़के पढ़ने वाले है- 2 एमबीए कर रहे है तथा एक आईटीआई (इंजीनियर), बाकि दो 12 वीं के बाद मजदूरी कर रहे है। ये सभी दोस्त है तथा इन सबकी अपनी-अपनी आर्थिक परेशानियां है।

एक के हाथ से नागपुर में गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाने पर उसे 24 हजार रूपये का कम्पनसेशन भरना था, दुसरे को दोस्त से शॉपिंग हेतु उधार लिए 8 हजार रूपये लौटाने थे, तीसरे के घर में मेडिकल प्रॉबल्म है तथा परिजन के कन्टीन्यू उपचार के लिए उसे पैसे लग रहे थे, चौथे को अपनी बहन के कॉलेज एडमिशन के लिए फीस भरने हेतु रकम की आवश्यकता थी तो पांचवा मास्टर माइंड इन सबका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहा था।
इस तरह सभी दुखी आत्माएं इक्कठी हो गई और उन्होंने ठेकेदार की इकलौती संतान तथा माता-पिता के लाडले रौनक को किडनैप करने का फैसला किया। इस प्लान में शामिल 2 युवक आपस में क्लासमेट है।

6 दिनों में अपहरण की गुत्थी सुलझी
अपहरण की इस गुत्थी को 6 दिनों के भीतर सुलझाने में जिला पुलिस अधीक्षक विनीता साहू, अप्पर पुलिस अधीक्षक संदीप आटोले के मार्गदर्शन में उपविभागीय पुलिस अधिकारी (देवरी) प्रशांत ढोले, स्थानिक अपराध शाखा दल के पुलिस निरीक्षक दिनकर ठोसरे, सापोनि. प्रदीप अतुलकर, रमेश गर्जे, प्रमोद बघेले, साइबर सेल पुलिस निरीक्षक राहुल शिरे, देवरी थाना प्रभारी विजय पवार, पुलिस कर्मचारी लिलेंद्र बैस, गोपाल कापगते, सुखदेव राऊत, विजय रहांगडाले, चंद्रकांत करपे, राजकुमार पाचे, भुवनलाल देशमुख, राजेश बड़े, चिरंजन कोडापे, नेवालाल भेलावे, तुलसीदास लुटे, विनय शेंडे, रेखलाल गौतम, अजय रहांगडाले, विनोद गौतम, पंकज खरवडे, ओमकार गौतम, दिक्षित कुमार दमाहे, प्रभाकर पालांदुरकर, विनोद बरैय्या, मोहन शेंडे का विशेष सहयोग रहा।

रवि आर्य

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