नागपुर– आयकर विभाग द्वारा कल 1000 हजार करोड़ रुपये से अधिक के मनी लांड्रिंग से संबंधित चीनी हवाला रैकेट के भंडाफोड़ को देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बताते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (Cait ) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल को भेजे एक पत्र में चीन की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए पूरे रैकेट की गहन जांच करने जिसमें ख़ास तौरपर यह देखने के लिए की क्या देश में अन्य चीनी लोगों द्वारा इस तरह के और रैकेट चलाये जा रहे हैं की मांग की. इस मामले में बंधन बैंक तथा आईसीआईसीआई बैंक के शामिल होने वहित विभिन्न ई कॉमर्स कंपनियों की साठगांठ पर भी कैट ने जांच की मांग की है और दोषियों को कड़ा दंडदे ने तथा एक प्रकार के राजद्रोह का मुक़दमा चलाने की मांग भी की है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि यह एक भयावह और दुर्भावनापूर्ण प्रयास है जो चीनी नागरिकों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए चीनी सरकार द्वारा समर्थित भी हो सकता है. कैट ने इस मामले की प्रवर्तननिदेशालय द्वारा भी एक अलग जांच कराये जाने की मांग की है. उन्होंने कहा की यह भी जांच का विषय है कि कैसे चीनी व्यक्ति लुओ सांग जो किचीन में उसकी वास्तविक पहचान है और जो चार्ली पेंग के नाम से काम कर रहा था उसे मणिपुर से भारतीय पासपोर्ट कैसे जारी हो गया तथा उसको आधार और पैन नंबर भी कैसे जारी हुआ जिसके जरिये उसने बैंकों में अनेक बैंक खातों की श्रंखला खोली.यह कहीं न कहीं देश एवं राज्यकी व्यवस्था में कमजोरी दिखाता है.
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि लगभग 40 फर्जी बैंक खातों के खुलने और उनके लगातार संचालित होने पर यह निश्चित है की इस मामले में चीनी व्यक्ति और बैंक अधिकारियों का घनिष्ठ संबंध है और बैंक अधिकारियों ने जानते हुए भी इन अनियमित बैंक खातों को चलने दिया. ऐसे सभी बैंक अधिकारियों की पहचान कर उन्हें तुरंत सम्बंधित बैंक से निष्कासित किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाईकी जानी चाहिए.
भरतिया एवं खंडेलवाल ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा की यह चीनी व्यक्ति नियमित रूप से नकद में करोड़ों रुपये जमा कर रहा था और निकाल रहा था जो कि एक असामान्य लेनदेन है और इस तरह का हर लेनदेन बैंक के नियंत्रण और जानकारी में रहता है जिसमें ऐसी किसी भीशक के दायरे वाले लेन-देन के बारे में अधिकारियों को सूचना देनी आवशयक है. लेकिन इस मामले में या तो बैंकों ने आंखें मूंद रखीं थी या अगरउनके द्वारा सूचना दी गई थी तो फिर इस तत्काल संज्ञान क्यों नहीं लिया गया और इस तरह के लेनदेन की अनुमति क्यों दी गई.
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि भारत में अपनी ऑनलाइन व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करने वाली कुछ प्रमुख ई-कॉमर्सकंपनियां भी इन चीनी व्यक्तियों और कंपनियों के साथ साठगांठ में शामिल हैं .कैट ने पहले भी ई कॉमर्स कंपनियों के व्यापार करने के तौर तरीकोंपर सवाल खड़े किये हैं जबकि इस मुद्दे में ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी आंच आयी है , इस दृष्टि से जो भी ई कॉमर्स कंपनियां इसमें शामिल हैं उनके ई-कॉमर्स पोर्टल तत्काल बंद किए जाए और उनके भी खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. आयकर विभाग द्वारा यह बड़ा रहस्योद्घाटन, ई-कॉमर्स पोर्टल्स द्वारा भारत के व्यापक कानून के व्यापक उल्लंघन में लिप्त होने का पर्याप्त प्रमाण हैं.
कैट ने यह भी आग्रह किया है की इस घोटाले में शामिल सभी बैंक कर्मचारियों और चार्टर्ड अकॉउन्टेंट्स को सलाखों के पीछे रखा जाना चाहिए और भारतीय कानूनों और नियमो की पवित्रता और सम्प्रभुता को नष्ट करने के सजा दी जानी चाहिए.