Published On : Mon, Jul 18th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

फ्लाई ऐश में बढ़ाई शहर की जलापूर्ति समस्या

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– सम्बंधित प्रशासन की ढुलमुल नीति से मामला जल्द नहीं सुलझ रहा

नागपुर– हालांकि नागपुर शहर में पीछे डेढ़ सप्ताह से भारी बारिश हो रही है, लेकिन उत्तर और पूर्वी नागपुर के 28 पानी की टंकियों से आपूर्ति रोक दी गई है. कन्हान नदी में फिर से पावर प्लांट की प्रदूषित राख को छोड़ दिया गया ,इस वजह से कन्हान जलशुद्धीकरण केंद्र और पंपिंग स्टेशन को बंद कर दिया गया है. इससे एक बार फिर जिले में पर्यावरण संकट में आ गया है।

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दिलचस्प बात यह है कि जब आदित्य ठाकरे पर्यावरण मंत्री थे, तब आदित्य ठाकरे ने महानिर्मिति के अधिकारियों को नदी में फ्लाई ऐश छोड़ने से मना किया था। साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। फ्लाई ऐश के नदी में छोड़ने से पानी का रंग पूरी तरह से ‘ग्रे’ हो जाता है। पानी का रंग बदलने से आशंकित पर्यावरणविदों ने खापरखेड़ा थर्मल पावर स्टेशन की फ्लाई ऐश कन्हान नदी में मिल रही है,इसकी जानकारी संबंधितों को दी थी.

याद रहे कि 10 जुलाई की सुबह पानी पर फ्लाई ऐश मिली थी। इसलिए कन्हान जलशुद्धिकरण केंद्र के पंपों को तत्काल बंद कर दिया गया। ‘वाटर ट्रीटमेंट प्लांट’ में जो पानी गया था उसे पूरी तरह से निकाला गया था और प्लांट को भी साफ कर दिया गया. लेकिन फ्लाई ऐश प्रतिदिन बड़ी मात्रा में नदी में दिख रहा था.

फ्लाई ऐश हानिकारक है और पानी के माध्यम से घरों में पहुंचकर नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने की संभावना है। इसके चलते कन्हान जल शुद्धिकरण केंद्र को बार-बार बंद किया जा रहा है। इसके चलते जलापूर्ति बाधित हो रही है। अगले कुछ दिनों तक उत्तर और पूर्व नागपुर के आशीनगर, नेहरूनगर, सतरंजीपुरा, लकड़गंज क्षेत्रों में 28 पानी की टंकियों से आपूर्ति बाधित रहने की संभावना है।

इस संबंध में विगत दिनों ओसीडब्ल्यू ,मनपा, खापरखेड़ा थर्मल सेंटर के अधिकारियों की बैठक हुई। इन अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण भी किया। इसलिए जल्द ही समाधान निकलेगा।

कुछ ठेकेदारों को फ्लाई ऐश के निपटान के लिए खापरखेड़ा महा औष्णिक केंद्र द्वारा फ्लाई ऐश के अन्यत्र उपयोग सम्बन्धी कुछ ठेकेदारों की नियुक्ति की थी. इसी दौरान फ्लाई ऐश से ईंट बनाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया। इसका व्यापक रूप से सीमेंट में मिलावट के रूप में उपयोग किया जाता था। लेकिन आपसी विवाद के चलते व्यवस्था चरमरा गई है।

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