नागपुर- भारतीय न्यायव्यवस्था ने दुनिया में अलग ही अस्तित्व बरकरार रखा है । इस न्यायव्यवस्था से हरएक को न्याय देने का प्रयास हो रहा है। न्यायप्रणाली गतिमान होने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग महत्वपूर्ण है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग न्याय प्रक्रिया को गति देगा। यह कहना है सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश शरद अरविंद बोबडे का । वे शनिवार 14 दिसंबर को मुंबई हाईकोर्ट के नागपुर बेंच परिसर में नागपुर बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित सत्कार कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान मंच पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य जज आर.एम्.लोढ़ा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वी.एस.शिरपुरकर, सुप्रीम कोर्ट के जज बी.आर.गवई, नागपुर बेंच के जज आर.के.देशपांडे, नागपुर बार एसोसिएशन की अध्यक्षा गौरी वेंकटरमन, बार एसोसिएशन के सचिव ॲड. प्रफुल्ल कुबाळकर समेत अन्य मौजूद थे ।
समारोह में मुख्य न्यायधीश शरद बोबडे के जीवन पर मौजूद जजों ने अपने अनुभव और मनोगत व्यक्त किए। इस दौरान पूर्व जज लोढ़ा ने कहा की शरद बोबडे की तरफ वे भारतीय न्यायव्यवस्था के उज्वल भविष्य के रूप देख रहे है । उन्होंने बोबडे को लेकर कहा की सुप्रीम कोर्ट में काम करते हुए बोबडे की सादगी, काम का तनाव न लेते हुए, सभी को साथ लेकर चलने की उनकी प्रवृत्ति यह सबसे अलग है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जज भूषण गवई, पूर्व न्यायधीश शिरपुरकर, नागपुर बेंच के जज देशपांडे ने भी न्यायधीश बोबडे को लेकर अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य न्यायधीश बोबडे का शॉल, श्रीफल और स्मृतिचिन्ह देकर उनका सत्कार किया गया। इस दौरान विभिन्न पुस्तको का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का प्रास्ताविक बार एसोसिएशन की अध्यक्षा गौरी व्यंकटरमन ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन की भूमिका स्पष्ट की। संचालन वर्षा देशपांडे और राधिका बजाज ने किया। आभार प्रदर्शन एडवोकेट प्रफुल्ल कुबाळकर ने किया। इस कार्यक्रम में जज, पूर्व जज, ज्येष्ठ वकील और राज्य सरकार के उच्च अधिकारी मौजूद थे ।