नागपुर: विदर्भवादी नेता और विदर्भ वैधानिक विकास महामंडल के सदस्य एडवोकेट मामा किंमतकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य सरकार पर अन्याय किये जाने का आरोप लगाया है। मामा किंमतकर ने आकड़े पेश करते हुए विदर्भ के अनुशेष को दूर करने और राज्यपाल द्वारा राज्य के तीनो भागो में आवंटित की जाने वाली विकास निधि का इस्तेमाल ही नहीं किये जाने की बात कही। किंमतकर के मुताबिक यह सिर्फ राज्यपाल के निर्देश का अपमान नहीं है बल्कि हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है।
जहां एक ओर विदर्भ के हिस्से की हजारो करोड़ रूपए की राशि पश्चिम महाराष्ट्र को भेजी जा रही है। वही विदर्भ के अनुशेष को दूर करने का किसी भी तरह का प्रयास नहीं किया जा रहा है। कलम 371 के नियमानुसार वर्ष राज्यपाल का आदेश मानना सरकार के लिए बंधनकारक है। वर्ष 2016-17 की राशि आवंटन में एक मार्च 2016 को राज्यपाल ने चार महीने के भीतर अमरावती विभाग के सिंचन विभाग में रिक्त पदों को भरने का आदेश दिया था। पर अब भी 33% पदों को नहीं भरा जा सका है। इसके अलावा निधि के आवंटन में भी अब तक भेदभाव किया जा रहा है। वर्ष 16-17 के लिए राज्यपाल ने नॉनप्लान फंड के तहत राज्य भर के लिए 75830 करोड़ आवंटित किये। जिसमें से 19876 करोड़ का प्रावधान विदर्भ के लिए किया गया। प्लान फंड के तहत राज्य भर में 39800 करोड़ आवंटित हुए जिसमे विदर्भ के लिए 12701 करोड़ का प्रावधान किया गया। इन दोनों राशियों में से कितनी राशि खर्च हुई इसकी जानकारी लेने के लिए उन्होंने सरकार को पत्र लिखा है। पर उसका जवाब अब तक उन्हें नहीं मिला है।
मामा किंमतकर का कहना है कि इस राशि से जिस स्तर पर काम शुरू होना था वह हुआ ही नहीं। जबकि विदर्भ के हिस्से की राशि ही पश्चिम महाराष्ट्र को भेजी जा रही है। उन्होंने बीते तीन वर्ष के खर्च का हिसाब मांगा है। जिसकी जानकारी मिलने पर सारी स्थिति साफ होगी। पर यह तय है कि राज्यपाल के आदेश का पालन ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। यह सिर्फ राज्यपाल का ही अनादर नहीं है बल्कि हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है।
उन्होंने राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा वर्ष 2008 में राज्यपाल द्वारा आवंटित राशि का विदर्भ में उपयोग न होने का आरोप लगाते हुए दर्ज की गई याचिका का हवाला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने इस राशि को राज्यपाल के आदेश के अनुसार खर्च करने का फैसला सरकार को सुनाया था। फिर भी सरकार इस आदेशों का पालन नहीं कर रही।