बाघिन को मारने वाले शिकारी नवाब और उसके बेटे से भी होगी पूछताछ
नागपुर : यवतमाल जिले के पांढरकवड़ा वनपरिक्षेत्र में नरभक्षी बाघिन अवनि की मृत्यु मामले में शिकारी नवाब शफ़ात और उसके पुत्र अज़गर अली की भी जाँच होगी। अवनि की हत्या के बाद शुरू हुए हंगामे को देखते हुए मामले की जाँच के लिए कई समितियों का गठन किया गया है। केंद्रीय मंत्री मेनका गाँधी के आक्षेप के बाद राज्य सरकार ने भी जाँच समिति का नए सिरे से गठन करते हुए दो और विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया है। यही समिति सोमवार से मामले की जाँच शुरू कर चुकी है। वन विभाग द्वारा अवनि की हत्या का आदेश देने के मामले में काफ़ी हंगामा खड़ा हुआ।
विशेष तौर से वन्यजीव प्राणियों के संरक्षण के लिए काम करने वाले लोग और स्वयंसेवी संस्था शुरुवात से ही इस फैसले के खिलाफ रहे। सारे विरोधों को दरकिनार कर 2 नवंबर को शिकारी नवाब और उसके बेटे ने अवनि को रात के वक्त गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। रात के वक्त वन्यप्राणी को गोली मारने और मौत की परिस्थितों को लेकर भी सवाल उठे। समिति ने नवाब और उसके बेटे को पूछताछ के लिए बुलाया है।
समिति में प्रधान मुख्य वनसंरक्षक डॉ. एस. एच. पाटील अध्यक्ष की भूमिका में है जबकि वन्यजीव संरक्षण संस्था मुंबई के अध्यक्ष डॉ. अनिष अंधेरिया,भारतीय वन्यजीव संस्था देहरादून के डॉ. बिलाल हबीब और अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक नितीन काकोडकर सदस्य है। मेनका गाँधी के सुझाव पर बेंगलूर की संस्था सेंटर फॉर वाईल्ड लाईफ स्टडीज के संचालक डॉ उल्हास कारंथ और भारतीय वन्यजीव संस्था देहरादून के रिसर्चर डॉ. पराग निगम को इसमें शामिल किया गया है। ये समिति अवनि के विचरण करने वाले इलाकों और जहाँ उसे गोली मारी गई वहाँ का दौरा कर परिस्थितयों का अवलोकन करेगी।
चार सदस्यों की पहली समिति को लेकर वन्यजीव प्राणियों के संरक्षण से जुड़े लोगों ने इसमें शामिल प्रतिनिधियों के नाम पर यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई थी की इसमें शामिल सभी सदस्य सरकारी कर्मचारी है जो सरकार का पक्ष लेंगे। इसके बाद ही इसमें दो अन्य लोगों को शामिल किया गया। इस समिति से पहले दिल्ली से आये जाँच दल ने अवनि मामले की जाँच की थी।