नागपुर : विदर्भ राज्य आंदोलन समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रतीकात्मक विधानसभा का मंगलवार को समापन हुआ। प्रतीकात्मक विधानसभा का आयोजन विदर्भ राज्य के आंदोलन का हिस्सा था। इस सभा में दो दिनों तक संसदीय नियमावली का पालन कर विदर्भ राज्य के लिए विदर्भवादियों ने चर्चा की गई। सभा के समापन के उपरांत विदर्भ राज्य आंदोलन समिति द्वारा पत्रकार परिषद में इस प्रतीकात्मक विधानसभा में हुई कार्यवाही की जानकारी दी है। वीआरएएस के सयोजक राम नेवले ने जानकारी देते हुआ बताया कि सदन में किसानों का कर्ज माफ़ हो बिजली का बिल माफ़ हो ऐसी मांगे सदन में रखी गई। और जनता के मुद्दों पर बाकायदा मौर्चे में आये। सरकार ने विपक्ष के सभी प्रश्नो का उत्तर दिया। नक्स्लग्रस्त जिले गढ़चिरोली के आखरी गाँव को आधार बनाकर काम काज किया गया। प्रतीकात्मक विधानसभा में वित्त मंत्री की भूमिका निभा रहे श्रीनिवास खान्देवाले ने 54 हजार करोड़ का बजट भी पेश किया।
विदर्भ की विधानसभा में मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे वामनराव चटप के मुताबिक बीजेपी के नेता और खुद मुख्यमंत्री जनता में संभ्रम की स्थिति निर्माण कर रहे है। अलग राज्य पर सरकार में आने वाली बीजेपी ने जनता को धोखा दिया है। पर अब जनता खुद अपनी लड़ाई लड़ेगी। 5 दिसंबर से राज्य का शीतकालीन अधिवेशन शुरू होने वाला है। जिसका कठोर विरोध किया जायेगा। इस दौरान भव्य मोर्चा विधानसभा पर निकाला जायेगा जिसकी जनजागृति फ़ैलाने के लिए पांच दिंडी यात्रा निकली जाएगी। उमरखेड़, शेंडगाँव, सिंदखेड़राजा, देवरी, सालेकसा से निकलेवाली दिंडी विदर्भ में भ्रमण करेगी। और करीब 300 सभाए ली जाएगी। अब पिछले 113 वर्षो से शुरू अलग राज्य की लड़ाई अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर लड़ी जा रही है। 5 दिसंबर से नागपुर में होने वाला विधानसभा का सत्र महाराष्ट्र सरकार का आखरी सत्र होगा। अब तो महाराष्ट्रवादी विदर्भ छोड़ो ,देता की जाता की जनता की मार खाता इस नारे के साथ आंदोलन आगे बढ़ेगा। महाराष्ट्र के साथ विदर्भ का भविष्य नहीं है वैसे भी राज्य सरकार कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। उसमे इतनी शक्ति नहीं की किसी इलाके का संपूर्ण विकास कर सके। सरकार की आर्थिक स्थिति ख़त्म हो चुकी है।
आंदोलन से ही मिलेगा राज्य, राजनितिक प्रयोग हो चुके है असफल
विदर्भ राज्य के लिए शुरू आंदोलन के तरीके को लेकर विदर्भ राज्य आंदोलन समिति का पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरी अणे से मनभेद की खबर सामने आने के बाद वामनराव चटप ने फिर एक बार सफाई देते हुए कहाँ कि वो आंदोलन की भूमिका नकारते हुए चुनावी राजनीति को आखिरी विकल्प मान रहे है। इतिहास गवाह है कि कोई भी राज्य आंदोलन से ही बना है। 500 लोगो का समूह भी आंदोलन खड़ा कर सकता है जबकि साम -दाम, दंड-भेद की प्रवृति के बीच राजनीतिक आधार बनाना मुश्किल काम है। वैसे भी इससे पहले बनवारी लाल पुरोहित, जामवंतराव धोटे सरीखे नेता मतपेटी का इस्तेमाल कर चुके है जिसमे उन्हें असफलता ही हाँथ लगी है।
अपने खून से युवा कार्यकर्ता लिखेगे प्रधानमंत्री को पत्र
आगामी 15 नवंबर को विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के युवा इकाई के कार्यकर्ता एक आंदोलन कर रहे है। विदर्भ के सभी जिलो में होने वाले इस आंदोलन में युवा विदर्भवादी अपने खून से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखेगे जिसमे अलग विदर्भ राज्य की माँग की जाएगी साथ ही उनकी पार्टी के वादा याद दिलाया जायेगा।