– परिवहन सेवा मेट्रो रेल को देने का प्रस्ताव,शहर के आम नागरिक हित में मनपा प्रशासन द्वारा सुचारु रूप से बस न संचलन करना और स्मार्ट सिटी द्वारा 15 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का प्रस्ताव को मंजूरी
नागपुर : भाजपा नेता नितिन गडकरी की सोच थी कि शहर के आम नागरिकों को शहर सह जिले में आवाजाही के लिए नियमित सार्वजानिक परिवहन सेवा उपलब्ध हो,इसके लिए उन्होंने भरसक प्रयास भी किये लेकिन किसी ने उनके प्रयास को मजबूती नहीं दी,बल्कि आजतक नाना प्रकार के अड़चन ही लेट जा रहे,नतीजा शहर की आम जनता आज भी हरसंभव खुद के वाहन का इस्तेमाल कर अपने गंतव्य स्थल तक आवाजाही कर रही,जो कि काफी महंगा साबित हो रहा,दूसरी ओर केंद्रीय/राज्य स्तरीय और मनपा को इस मामले में बढ़ा घाटा सहन करना पड़ रहा.
JNNURM योजना कबाड़ में
JNNURM के तहत मनपा को सैकड़ों बसें मिली थी,इसे संचलन करने वाले ठेकेदार ने तब मनपा को फूटी कौड़ी न देते हुए सारे-के सारे प्रमुख मार्ग बेच दिए थे और सरकारी बसों से रोजाना हज़ारों रूपए कमा लिये।जब उनके हाथ से बसें वापिस ली गई तो अमूमन बसें कबाड़ बन गई थी या फिर बड़ी बड़ी मरम्मत की स्थिति में आ गई थी या फिर आज भी सैकड़ों बसें कबाड़ के रूप में खड़ी जगह का किराया बढ़ा रही,जिसका विवाद आजतक जारी है.इसके अलावा ठेकेदार भी मनपा पर बकाया थोप न्यायालयीन संघर्ष कर रहा.
ग्रीन बस का बकाया न देने से भाग गई
गडकरी ने इथेनॉल से चलने वाली 2 दर्जन से अधिक ग्रीन बस मनपा की परिवहन बेड़े में शामिल किए.क्यूंकि बसें कंपनी की मलिकी की थी,उसका ईंधन खर्च मनपा को देने के करार बाद भी मनपा प्रशासन ने महीनों नहीं दिए.क्यूंकि बसें काफी महंगी थी,उसे कबाड़ बनाने के बजाय करोड़ों में बकाया के बावजूद कंपनी ने सारे बसों को अन्यत्र शहर ले गई.इस बस का संचलन नियमित होता रहता तो शहर और पर्यावरण को लाभ मिलता रहता।इसके अचानक चले जाने से मनपा को कोई अफ़सोस नहीं,आश्चर्य की है.
घाटे का राग आलाप खंडित की गई सार्वजानिक परिवहन सेवा
इस ब्रम्हांड में सार्वजानिक सेवा घाटे में चल रही,क्यूंकि यह मुलभुत सुविधाओं में से एक माना गया है.इस क्रम में 435 के आसपास बसें मनपा के पास हैं,इलेक्ट्रिक बसों को जोड़ कर लगभग 200 बसें सड़कों पर खानापूर्ति कर रही,शेष लगभग 250 बसें कबाड़ का रूप रही.क्यूंकि मनपा प्रशासन के अधिकारियों की जेब से फूटी-कौड़ी खर्च नहीं हुई,इसलिए बसें चले न चले,उनके स्वाभाव में कोई फर्क नहीं पड़ रहा.इस वजह से मनपा की सार्वजानिक परिवहन सेवा की विश्वसनीयता खतरे में नज़र आ रही,इसलिए शहर के डेढ़-2 लाख नागरिक जो सार्वजनिक बसों से रोजाना आवाजाही करना चाहते है,वे भी अब खुद के पर्यायी वाहनों का सहारा ले रहे.
CNG में परिवर्तित करने की योजना ठप
घाटे में चल रही मनपा की परिवहन सेवा और जर्जर हो चुकी बसों पर हो रहा ईंधन खर्च कम करने के लिए गडकरी ने ही उन बसों को डीजल से CNG में तब्दील करने का सुझाव सह व्यवस्था दी थी.लेकिन CNG में तब्दील करने वाली कंपनी RAWMATT को 4 से 5 दर्जन बसें दिए,उसके बाद डेढ़-2 साल से बसें देना बंद कर दिए,CNG में तब्दील करने लायक बसें या तो मनपा का खर्च बढ़ा रही या फिर कबाड़ का रूप ले रही.
योजना आयोग मार्फ़त मिल रही 40 इलेक्ट्रिक बसें,ओलेक्ट्रा कर रहा आनाकानी
गडकरी के प्रयास से मनपा को 100 बसें सार्वजनिक परिवहन सेवा के लिए मिलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई,जिसके लिए सरकारी अनुदान भी मिले।मनपा प्रशासन ने इन 100 बसों के बजाय 40 इलेक्ट्रिक बसे खरीदने का निर्णय लिया।इसके लिए हैदराबाद की ओलेक्ट्रा कंपनी को बस आपूर्ति का ठेका दिया गया.लेकिन आजतक एक भी बस उनके द्वारा पूर्ति नहीं की गई और न पूर्ति करने के नियमों का पालन किया गया.ओलेक्ट्रा को कई शहरों को बस आपूर्ति करने का ठेका दिया गया.लेकिन ओलेक्ट्रा प्रभावी जनप्रतिनिधियों के आधार पर उनके-उनके शहरों को बस आपूर्ति कर रही है या फिर करने वाली है.इस मामले में भी मनपा प्रशासन ने अजीब सी चुप्पी साध रखी है.इसी कंपनी ने रोते-गाते पहले भी मनपा को 6 इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध करवाए,लेकिन बसों का संचलन खर्च समय पर न देने से अड़चन में आ गया था,ऐसी नौबत आये माह आती रहती है.
मनपा प्रशासन की वर्त्तमान नीति से यह आभास हो रहा कि वे या तो इलेक्ट्रिक बस संचलन के मूड में नहीं या फिर पहले चरण में 12-15 बसें आ भी गई तो दौड़ रही 200 बसों में से 12-15 बसें कम कर इन्हें बेड़े में शामिल करने की फ़िलहाल योजना है ?
मेट्रो रेल को परिवहन देने का प्रस्ताव तैयार
मनपा की समझ से घाटे में चल रही सार्वजनिक परिवहन सेवा को किसी सफेदपोश की सिफारिश से मेट्रो रेल को देने का प्रस्ताव आनन-फानन में तैयार किया गया.अड़चन वहां आ गई कि मेट्रो रेल केंद्र सरकार की परियोजना है,वे मनपा अर्थात राज्य सरकार की परियोजना का संचलन कर सकती है या नहीं,इस पर विचार शुरू है.अगर केंद्र सरकार के सम्बंधित विभाग की सहमति मिल गई तो मेट्रो रेल के हवाले मनपा की परिवहन सेवा कर मनपा प्रशासन अपना खर्च बचाने का प्रयास करेगी।अगर नहीं सहमति बनी तो ऐसे ही ढुलमुल तरीके से मनपा परिवहन सेवा का संचलन करती रहेगी !
उक्त उथल-पुथल में SMART CITY खरीद रही ELECTRIC BUS
मनपा प्रशासन सार्वजनिक परिवहन संचलन में आनाकानी कर रही,खानापूर्ति के लिए आधे से भी कम बसों का संचलन कर रही.ऐसे में SMART CITY BOARD ने मनपा प्रशासन से समन्वय किये बिना 15 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी क्या ?
सवाल यह है कि स्मार्ट सिटी बसें तो खरीद कर मनपा परिवहन विभाग को सौंप देगी लेकिन संचलन खर्च कौन वहन करेगा ?
सवाल यह भी है कि जब स्मार्ट सिटी नियमावली में परिवहन सेवा के लिए बसें खरीदने का प्रावधान है तो वे मनपा की सार्वजनिक परिवहन सेवा क्यों नहीं अपने जिम्मे ले लेती ?