Published On : Sat, May 19th, 2018

सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस को बड़ा झटका, बोपैया ही बने रहेंगे प्रोटेम स्पीकर

Advertisement

कर्नाटक में आज होने वाले महत्वपूर्ण ‘शक्ति परीक्षण’ से पहले के. जी बोपैया को विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर (कार्यवाहक अध्यक्ष) नियुक्त किए जाने वाले राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले को कांग्रेस और जनता दल(एस) गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद प्रोटेम स्पीकर द्वारा ही बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया. अब बहुमत परीक्षण का लाइव टेलीकास्ट होगा.

– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोपैया ही प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे. बोपैया ही बहुमत परीक्षण कराएंगे.

Gold Rate
13 dec 2025
Gold 24 KT ₹ 1,31,800 /-
Gold 22 KT ₹ 1,22,600 /-
Silver/Kg ₹ 1,88,800/-
Platinum ₹ 60,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

कपिल सिब्बल: पुरानी परंपरा कर्नाटक में तोड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट पहले भी दो फैसलों को ठीक कर चुका है. इस पर जस्टिस बोबडे ने टिप्पणी की और कहा कि ‘ऐसे भी कई उदाहरण हैं जहां वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया.’ कपिल सिब्बल ने ये भी कहा कि बात सिर्फ वरिष्ठतम की नहीं है, बल्कि पुराने इतिहास की भी है, ऑपरेशन लोटस की बात है.

जस्टिस बोबडे: अगर आप (सिब्बल) स्पीकर के निर्णय पर सवाल उठाएंगे तो हमे प्रोटेम को नोटिस जारी करना होगा. ऐसे में फ्लोर टेस्ट को भी टालना पड़ सकता है, क्योंकि पहले बोपैया की नियुक्ति की जांच करनी होगी.

कोर्ट ने ये भी कहा कि आप विरोधाभास के जोन में हैं. आप प्रोटेम के खिलाफ हमलावर हैं लेकिन उन्हें अपना पक्ष देने के लिए वक्त भी नहीं देना चाहते हैं. हम आपकी सुनेंगे लेकिन फिर फ्लोर टेस्ट टालना पड़ेगा.

-कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अपील की है कि के.जी बोपैया को बहुमत परीक्षण की इजाजत न दी जाए.

-कपिल सिब्बल ने कोर्ट में ये भी दलील दी है कि प्रोटेम स्पीकर बोपैया का इतिहास दागदार रहा है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को भी उनके कामकाज की आलोचना करनी पड़ी.

-सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की तरफ से वकील कपिल सिब्बल जिरह कर रहे हैं. सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल ने गलत परंपरा शुरू की है, जबकि सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है.

कांग्रेस के आवेदन में गठबंधन ने बीजेपी विधायक बोपैया को प्रोटेम नियुक्त करने के फैसले को निरस्त करने की मांग करते हुए कहा है कि यह परंपरा के विपरीत है क्योंकि परंपरा के अनुसार इस पद पर आम तौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को नियुक्त किया जाता है.

आवेदन में कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा एक कनिष्ठ विधायक को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करना असंवैधानिक कदम है. आवदेन में यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल निर्देश की मांग की गई कि शक्ति परीक्षण स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो.

Advertisement
Advertisement