- किसानों की समस्याओं को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ उतरी सड़क पर
- तहसीलदार के मार्फत भाजपा सरकार को सौंपा निवेदन
नागभीड़ (चंद्रपुर)। अपर्याप्त व असमय वर्षा के कारण राज्य के बहुतांश जिले के किसानों को नुकसान हुआ है. जिससे राज्य के किसान कर्ज के चक्र में फंस किसानों के समक्ष जीवन-मरण का यश प्रश्न खड़ा हो गया है. राज्य में सूखे की स्थिति होने के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक किसानों के हित में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है. राज्य सरकार किसानों की माँगों को नजरअंदाज किए जाने से तालुका काँग्रेस कमिटी की ओर से किसानों के न्याय व हक के लिए स्थानीय राम मंदिर चौक में धरना आंदोलन शुरू किया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नाकाफी वर्षा, अति वृष्टि, असमय वर्षा व अँधड़ से राज्य के बहुदा जिले के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. सोयाबीन की फसल नहीं होने तथा कपास की उपज कम होने, कपास को उचित मूल्य मिला वहीं खरीदी केन्द्र भी अब तक खोले नहीं गए. जिन भागों में धान की अधिक खेती होती है वहां अतिवृष्टि के कारण फसल नष्ट हो गई. राज्य सरकार ने अब तक गन्ना उत्पादकों को उचित मूल्य तय नहीं की है. असमय वर्षा व आँधी से फलों के बाग उजड़ गए हैं. नाकाफी बारिश से मराठवाड़ा व विदर्भ के साथ राज्य के अन्य भागों में सूखा की स्थिति बनी हुई है. इसलिए राज्य सरकार सोयाबीन व धान उत्पादकों को प्रति हेक्टेयर 25 हजार व कपास को 6 हजार रुपये, ओला व फलबागों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपयों की आर्थिक मदद दे. साथ ही राज्य को सूखा घोषित कर किसानों को पीने का पानी, रोजगार, जानवरों के लिए चारा उपलब्ध कर किसानों के कर्ज व बिजली बिल माफ करने की मांग एक निवेदन के तहसीलदार को सौंपा गया.
इस अवसर पर तालुका काँग्रेस कमिटी के अध्यक्ष प्रफुल्ल खापर्डे, सचिव मोहन जगनाड़े, पं.स. सभापति रेखा जगनाड़े, पूर्व पं.स. सभापति खोजराम मरस्कोल्हे, पूर्व उपसभापति दिनेश गावंडे, मंदा पेंदाम, पद्मा कामडी, पूनम बगमारे, ज्योति चिलबुले, ताईबाई रंधये, अशोक ताटकर, रामकृष्ण देशमुख, सुरेश गावंडे, प्रमोद चौधरी, आनन्द भरडकर, रवि आंबोरकर, सुधाकर पेंदाम, मुरलीधर मोरांडे, रमेश चौधरी, शिरीष वानखेड़े, संतोष सोनुले के साथ भारी संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता धरना आंदोलन में शामिल थे.