नागपुर : एक तरफ जिले में कांग्रेसी काफी गुटों में विभक्त होकर कांग्रेस को कमजोर करने में लीन हैं तो दूसरी तरफ उत्तर नागपुर में दो उच्च शिक्षित व राज्य के विभिन्न जिलों में उच्च पदों पर सेवा देकर निवृत्त हुए अधिकारियों ने कांग्रेस का दामन थाम कांग्रेस को कम से कम उत्तर में मजबूती प्रदान की हैं.
ज्ञात कि उक्त दोनों अधिकारी उत्तम खोब्रागडे व किशोर गजभिये ने विगत दिनों कोंग्रेसध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस में प्रवेश किया।
वैसे तो लोकसभा चुनाव को सालभर अभी बांकी हैं,संभवतः फरवरी २०१८ में चुनाव होने वाली हैं,फिर मई २०१८ के आसपास विधानसभा चुनाव लेने की चर्चा हैं,अगर सत्ताधारी भाजपा लोकसभा व विधानसभा चुनाव एकसाथ करवाने में असफल रहे तो.
उक्त प्रवेश से लोकसभा चुनाव से कहीं ज्यादा विधानसभा चुनाव पर गहरा असर पड़ेंगा। उत्तर में कांग्रेस के दिग्गज व उच्च शिक्षित नेता डॉक्टर नितिन राऊत का गढ़ माना जाता हैं,पहली दफा चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में वर्त्तमान विधायक से कहीं ज्यादा सक्रिय हैं.
इनके हार के पीछे भाजपा का ‘डबल गेम’ रचा गया था,जिसमें राऊत को असफलता मिली थी.भाजपा के नेता ने राऊत को विजयी बनाने के लिए कमजोर उम्मीदवार छोड़ा था,इस भाजपाई उम्मीदवार के वोट ख़राब करने के लिए बसपा उम्मीदवार को आर्थिक मदद की थी लेकिन बसपा उम्मीदवार भाजपा खेमे के मतों को प्राप्त करने में असफल रहे,इसके बजाय कांग्रेस खेमे के वोट जरूर प्राप्त किये,इस वजह से कांग्रेस उम्मीदवार को गत विधानसभा में बड़ी जीत मिली।
अब जबकि बसपा उम्मीदवार स्वयं कांग्रेस का दामन थाम लिया हैं. प्रथम दृश्या कांग्रेस का कोई भी उम्मीदवार हो बड़ी जीत के करीब देखना शुरू कर दिए हैं.भाजपा भी आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार निश्चित ही बदलने के कगार पर हैं,सबकुछ योजनाबद्ध रहा तो वर्तमान साथी समिति सभापति उत्तर नागपुर से अगले भाजपाई उम्मीदवार हो सकते हैं.
रही बात कांग्रेस की,तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवारी का पहला मजबूत दावेदार नितिन राऊत ही हैं,लेकिन जिले में चल रही पार्टी अंतर्गत उठा-पठक में राऊत की टिकट कटी तो उत्तम खोब्रागडे को उम्मीदवारी दी जा सकती हैं.तीसरे क्रमांक पर किशोर गजभिये की दावेदारी को नाकारा नहीं जा सकता हैं.
इसके पूर्व लोकसभा चुनाव वर्षभर बाद होने वाली हैं.वर्त्तमान सांसद तो चुनावी तैयारी ६ माह पूर्व से ही शुरू कर चुके हैं,मनपा प्रशासन पर तो कर्ज लेकर चुनावी वादे पुरे करने का दबाव बना चुके हैं.वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से लोकसभा चुनाव हेतु आज के दौर में दोनों गुटों से एक-एक युवा उम्मीदवारी हेतु जुट गए हैं.