Published On : Wed, Sep 20th, 2017

देश की नई शिक्षा निति में दिखेगी संघ की सोच

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नागपुर:मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा देश में लागू की जाने वाली नई शिक्षा नीति में शिक्षा किस तरह की हो इसमें संघ की सोच स्पष्ट तौर पर दिखाई देगी। के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए जून 2017 में गठित 9 सदस्यों की कमिटी अक्टूबर महीने में अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौपे ऐसी संभावना है। नई शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए विश्वविद्यालयों में कार्य करने वाले संघ के संगठन भारतीय शिक्षण मंडल ने 32 सौ पन्नों की सुझाव रिपोर्ट इस कमिटी को प्रस्तुत की है। भारतीय शिक्षण मंडल ने देश में शिक्षा नीति कैसी हो ? इसके लिए बाकायदा नागरिकों से सुझाव एकत्रित किये है। करीब 10 लाख लोगों से माँगे गए सुझावों में से समानता वाले ढाई लाख सुझावों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गयी है। जब यह रिपोर्ट सार्वजिक होगी तो तय है इसमें शिक्षा के पारंपरिक तरीक़े भी शामिल हो।

देश की प्राचीनतम शिक्षा व्यवस्था गुरुकुल पर संघ की सोच की शिक्षा नीति में ख़ास महत्त्व दिए जाने के साथ की कौशल विकास पर विशेष बल दिया गया है। संघ विकास और वैश्वीकरण के दौर में भी यह मनाता है की गुरुकुल परंपरा से प्रदान की जाने वाली शिक्षा बेहतर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खुद भी इस परंपरा को आगे ले जाते हुए प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत कई गुरुकुल चला रहा है। संघ आधुनिक शिक्षा के साथ युवा पीढ़ी को संस्कारसम्मत बनाने पर जोर देता रहा है। यानि तय है की मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जो रिपोर्ट आगामी कुछ वक्त में सामने आएगी उसमे संघ की छाप दिखाई देगी।

गुरुकुल शिक्षा परंपरा के विस्तार के उद्देश्य से अगले वर्ष 27 से 29 अप्रैल के बीच मध्यप्रदेश के उज्जैन में विराट गुरुकुल सम्मलेन का आयोजन होने जा रहा है जिसमे श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बर्मा के अलावा कई एशियाई देशो के वह प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे जो गुरुकुल के माध्यम से शिक्षा की परंपरा को शुरू रखने के काम में लगे है।

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