नागपुर. प्राथमिक स्कूल में नियुक्ति होने का कारण देते हुए गलत तरिके से स्नातक वेतनमान दिए जाने के कारण मनपा की ओर से वसूली के आदेश जारी किए गए. जिसे चुनौती देते हुए सुधीर कोरमकर और खजिस्ता असलम खान की ओर से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई. रिट याचिका पर दिए गए आदेशों का पालन नहीं किए जाने के कारण अब दोनों याचिकाकर्ताओं की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने नगर विकास विभाग सचिव के.एच. गोविंद राज, मनपा आयुक्त अभिजीत चौधरी और मनपा की शिक्षणाधिकारी साधना सोयाम को अवमानना नोटिस जारी कर 21 अप्रैल तक जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता खजिस्ता असलम खान को 19 अक्टूबर 1985 को सहायक शिक्षक (प्राथमिक) के रूप में नियुक्त किया गया था. इसी तरह से दूसरे याचिकाकर्ता सुधीर कोरामकर को 21 जनवरी 1992 को सहायक शिक्षक (प्राथमिक) के रूप में नियुक्त किया गया था.
रिट याचिका पर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार याचिकाकर्ताओं की नियुक्तियों को लेकर कोई विवाद नहीं है. जबकि दोनों नियुक्तियां विधि सम्मत प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई थी. रिट याचिका के अनुसार मनपा के शिक्षणाधिकारी की ओर से 20 सितंबर 1988 को आदेश जारी किया गया था. जिसके अनुसार खान को ताज बाग उर्दू माध्यमिक विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था. 20 सितंबर 1988 से सेवानिवृत्ति तक खान ने माध्यमिक विद्यालय शिक्षक के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन किया. इसी तरह से सुधीर कोरमकर को 24 जून 1992 को दुर्गा नगर स्थित माध्यमिक विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था. वह आज तक वह माध्यमिक शिक्षक के रूप में काम कर रहा है.
रिट याचिका में बताया गया कि खान को 31 अगस्त 2009 के आदेश के अनुसार स्नातक वेतनमान प्रदान किया गया था. जबकि कोरमकर को 21 मई 2007 के पत्र के अनुसार स्नातक वेतनमान प्रदान किया गया था. दोनों को 9 जुलाई 1987 की अधिसूचना के आधार पर माध्यमिक विद्यालय में मौजूदा रिक्तियों को अप्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के रूप में काम कर रहे शिक्षकों द्वारा भरे जाने के विकल्प के अनुसार स्नातक वेतनमान प्रदान किया गया. जब दोनों ने बी.एड की योग्यता प्राप्त की, उस तिथि के बाद स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों का वेतनमान दिया गया. ऐसे में कोई कारण नहीं दिखता है कि दोनों याचिकाकर्ता 9 जुलाई 1987 की अधिसूचना के लाभ के हकदार क्यों नहीं है. कोर्ट ने खान को 1 जुलाई 1992 से तथा कोरमकर को 12 अगस्त 1993 से प्रदान किए गए प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों का वेतनमान उचित करार दिया था. साथ ही मनपा के वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया था. कोर्ट ने 8 सप्ताह के भीतर उचित आदेश जारी करने के आदेश मनपा को दिए थे. किंतु निर्णय नहीं लिए जाने के कारण अब अवमानना याचिका दायर की गई है.