Published On : Mon, Apr 14th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

शिक्षा विभाग सचिव को अवमानना नोटिस आदेश के बावजूद आरटीई प्रवेश का नहीं हुआ भुगतान

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नागपुर. रिट याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की ओर से आरटीई में दिए गए प्रवेश के अनुसार भुगतान करने के आदेश राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को दिए थे. किंतु आदेश का पालन नहीं किए जाने का हवाला देते हुए तुलसी एजूकेशन सोसाइटी एवं अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य के शिक्षा सचिव रणजीतसिंह देओल, शिक्षण परिषद के ओ.पी अग्रवाल, प्राथमिक शिक्षा विभाग के संचालक शरद गोसावी, उपसंचालक उल्हास नरड और केंद्र सरकार के सचिव संजय कुमार को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. हाई कोर्ट ने रिट याचिका 5827/2024 पर सुनवाई के बाद 9 अक्टूबर 2024 को आदेश जारी किया था. लेकिन इसका पालन नहीं किया गया.

हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार सरकार को 6 सप्ताह के भीतर इसका निपटारा करना था. किंतु 6 माह का समय बीत जाने के बाद भी निर्णय नहीं लिया गया. जिससे मजबूरन अब अवमानना याचिका दायर की गई है. याचिका में आरटीई कोटे के 25% के तहत प्रवेश पाने वाले छात्रों की फीस की प्रतिपूर्ति के लिए बकाया राशि जारी करने और भुगतान करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग याचिका में की गई थी. रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से प्रताप मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य तथा रिट याचिका 5212/2024 में 24 सितंबर 2024 को पारित आदेश की ओर आकर्षित किया जाता है.

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एक मामले में हाई कोर्ट की डबल बेंच द्वारा इसी तरह का मामला तय किया गया था. जिसमें शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) की ओर से एक बयान दर्ज किया गया था कि प्रस्ताव को अग्रेषित करने और यदि याचिकाकर्ता पात्र पाए गए, तो उसके बाद राज्य सरकार द्वारा राशि के वितरण की प्रक्रिया छह सप्ताह की अवधि के भीतर पूरी हो जाएगी.

इसी तर्ज पर हाई कोर्ट ने इस याचिका में भी प्रतिवादियों को भी यहीं निर्देश दिए थे. कोर्ट ने जिला परिषद को 4 सप्ताह के भीतर राशि के वितरण का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने तथा राज्य सरकार की ओर से उसके बाद 6 सप्ताह में राशि का वितरण करने की आशा जताई थी. यदि दावा खारिज हो या कम राशि प्राप्त हो, तो नियमों के अनुसार न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता याचिकाकर्ता को दी थी.

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