मनपा प्रशासन और ठेकेदारों के नाम पर राजनीति करने वाले एक ही सिक्के के दो पहलु है
नागपुर टुडे
मनपा के ठेकेदारों को फिलहाल केवल एक लाख रुपए देने का प्रस्ताव प्रशासन ने रखा. इसे ठेकेदारों ने ठुकरा दिया. साथ ही आगे किसी भी प्रकार का काम नहीं करने का निर्णय लिया है. नागपुर म्युनिसिपल कार्पोरेशन कांट्रैक्टर एसोसिएशन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मनपा आयुक्त श्याम वर्धने से मुलाकात की. आचार संहिता की वजह से पिछले डेढ महीने से मनपा में विकास कार्य बंद हैं. संगठन के अध्यक्ष विजय नायडू ने बताया कि मनपा पर ठेकेदारों के लगभग 100 करोड रुपए बकाया हैं.
दिवाली काली होने के आसार हैं. बार-बार भुगतान की मांग के बाद भी राशि प्राप्त नहीं हो रही है. दिवाली की वजह से हर प्रकार के बिल का भुगतान करना आवश्यक है. इस अवसर पर रमजान भाई, मतीन, दंडारे, राजू बजाज, संजू चौबे, सुरेश मानकर आदि उपस्थित थे.
उल्लेखनीय यह है कि मनपा प्रशासन और ठेकेदारों के नाम पर राजनीति करने वाले एक ही सिक्के के दो पहलु है.ठेकेदारों का सही बकाया ठेकेदार सामने नहीं रखते,हमेशा गलत आंकड़ों को पेश कर खुद का माहौल बनाते रहते है.तो दूसरी और मनपा प्रशासन भी ठेकेदारों के नेताओं के आरोप की जाँच परख करने के बजाय मनपा प्रशासन की हो रही बदनामी को सहते रहते है.अगर एक बार ठेकेदारों द्वारा लगाये गए आरोपों की जाँच परख हो जाये तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।पहले के अध्यक्ष शेख रमजान ४० करोड़ का बकाया होता था तो १०० करोड़ का बकाया बतलाते थे.इसी ढर्रे पर वर्त्तमान ठेकेदारों के नेता कर रहे है,यह विडम्बना नहीं तो और क्या है.