नागपुर: पोकलेन मशीन द्वारा रेती घाट से रेती का उत्खनन होने की शिकायत जिला शिवसेना उप प्रमुख वर्द्धराज पिल्ले से जिला प्रशासन और जिला खनन अधिकारी को मिले थे, साथ ही “ड्रोन” के परिक्रमा के कारण उनके कैमरे में कैद हुए दृश्य लगाए गए आरोप सिद्ध होने के कारण कल देर शाम “बिना” रेती घाट का ठेका रद्द करने का आदेश जिला प्रशासन ने भरे मन से जारी किया. इसके पूर्व ७ रेती घाटो का ठेका रद्द किया जा चूका है. उल्लेखनीय यह है कि कागजों पर घाट का ठेका रद्द और जमीनी सच्चाई यह है कि १६ सितंबर २०१६ की रातभर व १७ सितंबर २०१६ की सुबह समाचार लिखे जाने तक १५० से अधिक गाड़ी रेती का परिवहन का क्रम जारी है.
रेती घाटो में अवैध कृतो को “नागपुर टुडे” द्वारा निरंतर उठाकर जिला प्रशासन का ध्यान केंद्रित किये जाने का क्रम जारी है, जिसे लगातार सफलता मिलती जा रही है. ज्ञात हो कि पर्यावरण विभाग ने नागपुर जिले के ५७ रेती घाट की नीलामी की अनुमति दी थी, जिसमे से ३४ घाटो की निलामी हुई थी. इससे जिला प्रशासन को ४० करोड़ रूपए का राजस्व प्राप्त हुए थे. पर्यावरण विभाग के निर्देशानुसार घाटो से रेती का उत्खनन करते वक़्त “उत्खनन हेतु उपयोग किये जाने वाले मशीन का उपयोग पर पाबन्दी लगाई गई थी. लेकिन इस नियम को ताक व जिला प्रशासन, खनन विभाग को जेब में रख रेती घाट के ठेकेदारों द्वारा २४ घंटे मशीन का उपयोग कर रोजाना सैकडों ट्रक रेती का उत्खनन कर मांगकर्ता तक पहुंचाए.
शिवसेना द्वारा बारंबार उक्त गैरकानूनी कृतो का उजागर करने पर कुछ बड़े रेती घाट में उत्खनन का आदेश देने के ५ माह बाद २ लाख रूपए खर्च कर “ड्रोन” से निगरानी शुरू कार्रवाई की गई. अभी तक मात्र ८ रेती घाटो पर ही “ड्रोन” की निगरानी के नाम पर मशीन द्वारा रेत उत्खनन करने का मामला उठने पर नियमानुसार घाटो का ठेका रद्द किया गया. साथ ही उक्त सभी ८ घाटो के “डिपाजिट” भी जप्त कर लिए गए.
आरोपकर्ता द्वारा पेश सबूत व “ड्रोन” की रिकॉर्डिंग के आधार पर जिलाधिकारी कार्यालय ने १५ सितंबर २०१६ को रेती घाट वालों को नोटिस देकर बुलवाया था लेकिन वे १६ सितंबर २०१६ को जिला प्रशासन के समक्ष पहुंचे, उन्हें उनके गैरकानूनी ढंग से रेती उत्खनन का दृश्य दिखाकर उनका घाट का ठेका रद्द कर दिया गया. जिला प्रशासन के अनुसार अन्य ५ रेती घाट जिला प्रशासन के राडार पर है.
खापरखेड़ा से कामठी मार्ग पर खापरखेड़ा थाना अन्तर्गत “बिना” रेती घाट है, इस घाट का ठेका कल १६ सितंबर २०१६ को रद्द कर जमानत रकम जप्त करने का आदेश जारी हुआ तो दूसरी तरफ कल शाम से घाट से रेती उत्खनन अभी तक बेख़ौफ़ जारी है साथ में परिवहन कर मांगकर्ता तक पहुंचाया जा रहा है. जबकि जिला प्रशासन ने “बिना” घाट समेत सभी रद्द घाटो के ठेकेदारों को १० गुणा जुर्माना सहित सम्बंधित क्षेत्र के थाने में “एफआईआर” दर्ज करवाना चाहिए था. रेती चोरी की खबर इसलिए जिला प्रशासन को नहीं मिलती क्योंकि रेती चोरी में संबंधित ग्रामपंचायत का सरपंच,पटवारी,तलाठी और बीट जमादार सहित गॉव के रेती परिवहन करने के वाहनधारकों की चुप्पी से मामला सार्वजानिक नहीं होता है.
इसी “बिना” रेती घाट पर वर्ष २००७ में जब ग्रामीण पुलिस अधीक्षक यशस्वी यादव थे तो उन्होंने तब के ठेकेदारों सहित घाट पर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया था, फिर अबके ग्रामीण पुलिस अधीक्षक की चुप्पी समझ से परे है. क्या रेती चोरी मामले से सम्बंधित नियम-कानून में तब और अब के नियम-कानून में बदलाव हुआ है या फिर नारायणराव रेती के धंधे में है इसलिए सभी को बचाया जा रहा है ?
– राजीव रंजन कुशवाहा