Published On : Sat, Mar 29th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

मुख्यमंत्री के बयान पर विवाद: महिला कांस्टेबल छेड़छाड़ मामले में उठे सवाल , क्या है सच्चाई ?

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नागपुर टुडे – नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान महिला कांस्टेबल के साथ कथित छेड़छाड़ का मामला अब तूल पकड़ चुका है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है, जबकि पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में स्पष्ट रूप से इस घटना का जिक्र किया गया है। इस विरोधाभास ने सरकार, पुलिस प्रशासन और आम जनता के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

मुख्यमंत्री का बयान और विवाद की शुरुआत
22 मार्च को पुलिस भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट रूप से कहा, महिला पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी हुई, लेकिन छेड़छाड़ की कोई घटना नहीं हुई। उनके इस बयान ने विवाद को जन्म दिया, क्योंकि गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में महिला कांस्टेबल के साथ दुर्व्यवहार की पुष्टि की गई थी।

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एफआईआर में क्या कहा गया है?
एफआईआर के मुताबिक, 17 मार्च को भालद्रपुरा चौक पर हिंसा के दौरान भीड़ ने एक महिला कांस्टेबल के साथ दुर्व्यवहार किया, उसकी वर्दी खींचने की कोशिश की और उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। इस घटना में कुल 33 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें तीन डीसीपी स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं।

क्या मुख्यमंत्री को अधूरी जानकारी दी गई?

नागपुर क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बात की, ने नागपुर टुडे से पुष्टि की कि एफआईआर में महिला कांस्टेबल और कुछ अन्य महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और अश्लील गाली-गलौच की घटनाएं दर्ज हैं। इस स्थिति में सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री को अधूरी जानकारी दी गई थी या उन्होंने स्वयं इस मामले को हल्का करने की कोशिश की?

विवाद और कानूनी पहलू
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मुख्यमंत्री का दावा सही है, तो यह सवाल उठता है कि क्या दर्ज एफआईआर झूठी है? यदि एफआईआर में दर्ज आरोप सही साबित होते हैं, तो प्रशासन को दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी। लेकिन यदि मुख्यमंत्री का बयान सत्य है, तो क्या झूठी एफआईआर दर्ज कराने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी?

पुलिस बल में असंतोष
इस घटना के बाद पुलिस विभाग के भीतर भी नाराजगी देखी जा रही है। पुलिसकर्मी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और यह मामला सरकार और कानून-व्यवस्था के प्रति जनता के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, पुलिसकर्मी खुलकर विरोध दर्ज कराने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन उनके भीतर असंतोष की भावना स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।

हिंसा, आगजनी और पुलिस पर हमला
हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अधिकारियों पर सीधे हमला कर दिया। पेट्रोल बम और पत्थरबाजी की गई, जिससे डीसीपी निकेतन कदम, डीसीपी शशिकांत सातव, डीसीपी अर्चित चांडक सहित कई वरिष्ठ अधिकारी घायल हो गए। इसके अलावा, भीड़ ने पुलिस वाहनों और सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया।

महिला कांस्टेबल को न्याय मिलेगा या मामला दब जाएगा?
पुलिस एफआईआर के अनुसार, महिला पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार और यौन उत्पीड़न की घटनाएं भी सामने आई हैं। यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या महिला कांस्टेबल को न्याय मिलेगा या यह मामला राजनीतिक गलियारों में ही दबकर रह जाएगा।

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