अप्रैल-मई जैसे हालात नहीं बनेंगे
नागपुर: प्रशासन द्वारा भले ही कोरोना के तीसरी लहर की संभावना व्यक्त की जा रही है लेकिन डॉक्टरों की मानें तो अब वायरस कमजोर पड़ने लगा है. इस हालत में अप्रैल-मई जैसे हालात नहीं होंगे. अधिकाधिक लोगों को वैक्सीन लगने की वजह से भी प्रभाव कम हुआ है. वैक्सीन के दोनों डोज लेने वाले भले ही संक्रमित हो जाएं लेकिन समय पर जांच और उपचार मिल जाए तो गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती होने जैसी नौबत नहीं आएगी. इस बीच मंगलवार की रिपोर्ट में जिले में 10 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है.
कोरोना को लेकर प्रशासन द्वारा अगस्त में तीसरी लहर की संभावना व्यक्त की गई थी लेकिन वायरस ज्यादा प्रभाव नहीं दिखा सका. इसके बाद सितंबर में गणपति उत्सव के मद्देनजर लग रहा था कि लोगों का एक से दूसरी जगहों पर आना-जाना होने से प्रादुर्भाव बढ़ सकता है. अब सितंबर भी समाप्ति की ओर से है लेकिन जिले में फिलहाल स्थिति सामान्य ही बनी हुई है. डॉक्टरों की मानें तो अब अप्रैल-मई जैसी स्थिति की नौबत नहीं आएगी. इसकी मुख्य वजह अधिकाधिक लोगों का टीकाकरण बताया जा रहा है. टीकाकरण के बाद भी यदि कोई संक्रमित होता है तो गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती करने जैसी नौबत नहीं आएगी. इसके बावजूद सावधानी और सतर्कता बरतनी अब भी आवश्यक है.
सीरो सर्वे के लिए अब तक किट उपलब्ध नहीं
हाल ही में पालक मंत्री नितिन राऊत ने तीसरी लहर की संभावना के मद्देनजर सीरो सर्वे कराने की बात कही थी लेकिन मेडिकल में अब तक किट ही उपलब्ध नहीं हो सकी है. जिले में सबसे पहले जून 2020 में पहला सीरो सर्वे कराया गया था. मेडिकल की टीम ने शहर व ग्रामीण भाग के स्वास्थ्य कर्मचारियों को सर्वेक्षण के कार्य का प्रशिक्षण दिया है.
तीसरी लहर की संभावना के मद्देनजर जिले में 31 अगस्त से फिर से सीरो सर्वे किया जाना था. इसमें 6,100 लोगों के नमूने लेने हैं. ग्रामीण की 13 तहसीलों में से प्रत्येक मुख्यालय व प्रत्येक तहसील में 2 गांव से कुल 3,000 नमूने लिए जाने हैं. इसके लिए 6 से 12, 12 से 18, 18 से 60 और 60 से अधिक उम्र के समूह तैयार किए गए हैं. किट के लिए 9.5 लाख की निधि भी दे दी गई है लेकिन किट उपलब्ध नहीं हो पाई है.