नागपुर– नागपुर शहर में नागरिकों को एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) और राज्य सरकार की मिलीभगत से बिजली बिल के नाम पर लूटना शुरू कर दिया गया है. सरकार की ओर से यह कहा जा रहा है की बिजली बिल में राहत दी जा रही है, लेकिन किसी को 5 हजार, तो किसी को 27 हजार रुपए, तो किसी को 36 हजार रुपए के बिजली के बिल दिए जा रहे है, अब ऐसे में सवाल यह उठता है की सरकार की ओर से यह कौन सी राहत है, जो नागरिकों को दी जा रही है. मार्च महीने मे कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन शुरू हुआ. जिसके बाद सरकार की ओर से कहा गया था की ग्राहकों को एवरेज बिल दिया जाएगा, या फिर ग्राहक खुद मीटर रीडिंग भेजते है तो उन्हें उसके अनुसार बिजली बिल दिया जाएगा.
इसमें यह भी कहा गया था की किसी को भी ज्यादा बिजली का बिल नहीं दिया जाएगा, लेकिन इसमें जिन लोगों ने ऑनलाइन बिल महीने के महीने भरा भी है, उन्हें भी हजारों रुपए के बिजली के बिल दिए जा रहे है. एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) के विभिन्न परिसरों के ऑफिस में जब ग्राहक यह बील लेकर पहुंच रहे है तो वहां पर भी इनका समाधान नहीं किया जा रहा है. नागपुर में हजारों ग्राहको को बिजली बिल के नाम पर लुटा जा रहा है.
मानेवाड़ा में रहनेवाले ग्राहक स्वप्ना नायर, जिनका कंजूमर नंबर है 410013982272 है. जब लॉकडाउन हुआ था, तब एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) ने कहा था की ग्राहक खुद मीटर रीडिंग लेकर भेज सकते है, नहीं भेजने पर वे एवरेज बिल भेजंगे. इसके बाद इन ग्राहक ने मार्च महीने से लेकर मई महीने तक बराबर मीटर रीडिंग लेकर एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) को एसएमएस किया, और सही समय पर बिजली बिल का भुगतान भी किया, इसके बाद भी इन्हे जून महीने में बिजली का बिल 36,670 रुपए भेजा गया है. ऐसे में अब इस ग्राहक के साथ साथ इनके घर के लोग भी परेशान हो गए है. इन्हे समझ नहीं आ रहा है की 36 हजार रुपए का बिजली का बिल कैसे भरे. इन्होने एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाएं है और नाराजगी भी जताई है.
बिल भरने और रीडिंग भेजने के बाद भी क्यों हजारों में बिल
शहर में ऐसे कई नागरिक है, जिन्होंने मीटर की रीडिंग भी एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) को भेजी और समय रहते बिजली का बिल भी भरा. लेकिन इसके बाद भी ऐसे ग्राहकों को क्यों 3 महीने का एवरेज बिजली का बिल भेजा जा रहा है, यह समझ से परे है. नागपुर शहर के लाखों ग्राहकों को इस तरह से परेशान किया जा रहा है. लॉकडाउन का लाभ उठाकर एमएसईडीसीएल ( MSEDCL ) और सरकार ग्राहकों को लूट रही है.
ये कैसी सस्ती बिजली ?
मुंबई में महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग ने लॉकडाउन से पहले राज्य में अगले 5 साल के लिए बिजली की नई दरें निर्धारित की थी. नई दरों के मुताबिक, राज्य में बिजली की दरों में औसतन 7 से 8 प्रतिशत की कमी आने की बात कही गई थी. विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष आनंद कुलकर्णी ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा था कि इससे राज्य के आर्थिक विकास को गति मिलेगी. महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग ने अगले 5 साल के लिए राज्य में अलग-अलग श्रेणियों के उपबिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें कम करने का ऐलान किया था. लेकिन अब सवाल यह उठता है की जब बिजली की दरों को कम किया गया है, तो नागपुर के नागरिकों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है.
ग्राहकों को बिजली बिल भरना ही होगा !
चीफ इंजीनियर ( नागपुर एमएसईडीसीएल ) ( MSEDCL ) दिलीप दोडके ने जानकारी देते हुए बताया की जिन्हे भी इस तरह के बिल आए है. उन्हें यह बिल भरने ही होंगे. उन्हें सही बिल दिया गया है. लॉकडाउन के बाद उन्हें कम बिजली का बिल भेजा गया था, जिसके बाद अब उन्हें जितना भी बिल आया है, उन्हें भरना होगा. सिस्टम से ही बिजली के बिल भेजे जाते है, माइनस करके बिल भेजे है. अगर देखा जाए तो ग्राहकों को पिछले साल इन्हीं महीने का बिल इस साल की तुलना से ज्यादा आया होगा. ग्राहकों का बिल अगर ज्यादा है, तो उन्हें स्लैब बेनिफिट के हिसाब से हर महीने बिल के भुगतान की राहत दी जाएगी.
नितिन राउत बजट के माध्यम से करे बिजली बिल माफ़ : (पूर्व ऊर्जामंत्री) बावनकुले
पूर्व ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बिजली बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की एवरेज बिजली का बिल सरकार की ओर से न लिया जाये. 3 गुना जो बिजली का बिल भेजा गया है, उसे वापस लिया जाए. इसके साथ ही 300 यूनिट तक बिजली का बिल माफ़ किया जाए. मध्यम वर्गीय और गरीब परिवार के लोगों के पास बिल भरने के लिए पैसे ही नहीं है. 3 महीनों का 900 यूनिट बिजली का बिल माफ़ किया जाए. बावनकुले ने कहा की मौजूदा ऊर्जामंत्री डॉ. नितिन राऊत कार्यक्षम मंत्री है. सामाजिक संरचना को लेकर उनकी काफी समझ है. पिछड़े वर्ग में उन्होंने बड़ा काम किया है. गरीब और मीडियम परिवार के लोगों को समझनेवाले नेता है वह. वे आर्थिक परिस्थिति से गुजरे है, उन्हें इसकी जानकारी है. सरकार की ओर से उन्होंने इसको लेकर विशेष पैकेज मांगना चाहिए. सरकार के बजट से मांगे. उसका पैसा महावितरण को लाकर दे. इसके बाद ग्राहकों के बिजली का बिल माफ़ करे.