नागपुर: कांग्रेस,एनसीपी और अब भाजपाई दत्ता मेघे की मनोकामना जल्द पूरी होने के आसार नज़र आ रहे हैं .मूलतः कांग्रेसी विचारधारा के मेघे शुरुआत से ही कुछ वर्ष पूर्व तक राज्य के मराठा नेता शरद पवार के निकटवर्ती रहे. जिसका उन्हें समय-समय पर लाभ भी मिलता रहा .इनका साथ छोड़ वे फिर कांग्रेस में आये.पिछले लोकसभा चुनाव के पूर्व वे भाजपा का दामन या कहकर थाम लिए लिए कि अब शेष जीवन भाजपाई बन कर व्यतित करूँगा। इसी दौरान उन्होंने कोई भी चुनाव न लड़ने की घोषणा की और इच्छा जाहिर की थी कि पार्टी ने राज्यपाल जैसे पद पर असिन किया तो सहर्ष स्वीकार लूंगा।
क्यूंकि राज्यपाल बनने के लिए शहर से ही पुराने भाजपाई बनवारीलाल पुरोहित इच्छुक थे,उनके लिए राज्य के मुख्यमंत्री सक्रिय थे.इसी दौरान मेघे ने राज्यपाल पद की इच्छा भाजपा में अपने नेता नितिन गडकरी से जाहिर की.गडकरी ने भी उनका नाम अगर बढ़ाया,इससे पहले देवेंद्र फडणवीस की सिफारिश को तहरिज देते हुए बनवारीलाल पुरोहित को राज्यपाल बनाये जाने की घोषणा हो गई.इस मामले में दत्ता मेघे पिछड़ गए.
मेघे के बेटे समीर मेघे ने भाजपा की टिकट पर हिंगणा विधानसभा से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता।आज जिले में अपने-अपने विस् क्षेत्र के मामले में सबसे सक्रीय विधायकों में से एक हैं.
भाजपाई सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों से दत्ता मेघे को सिक्किम का राज्यपाल बनाये जाने की चर्चा शुरू हैं.इन्हें राज्यपाल बनाकर विदर्भ में इनके बड़े पैमाने पर समर्थकों को अपनी ओर आकर्षित करने की जानकारी मिली हैं.जिसके लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के प्रयास जारी हैं.समझा जाता हैं कि सबकुछ यथावत रहा तो जल्द ही नागपुर को एक और मान का पद मिल सकता हैं.