नागपुर: 500 और हजार के नोट पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चार्टेड अकाउंटेट की चाँदी हो गयी है। इस फैसले के बाद निवेश के लिए अलग -अलग रस्ते अख्तियार करने वाले व्यापारी और आम नागरिक अकाउंट मेंटेन करने के लिए अपने सीए के चक्कर काट रहे है। नागपुर में तो हालात ये है की बैंक की ही तरह सीए के दफ्तर के बाहर लंबी कतारे दिन भर लगी रहती है। आम तौर पर किसी भी सीए का दफ्तर 11 बजे से पहले नहीं खुलता पर अब सुबह 8 बजे से ही सीए और उनके कर्मचारी दफ्तर में अपने क्लाइंट को निवेश के रास्ते और अकाउंट मेंटेन करने के तरीके समझा रहे है। अचानक काम का बोझ बढ़ने की वजह से सीए ने अपनी फीस में भी इजाफ़ा कर दिया है।
लोगो के बीच अचानक बने इस माहौल पर सीए संदीप जोटवानी का कहना है की इस फैसले के बाद पब्लिक में पैनिक सिचुएशन क्रिएट हो गयी है। दरअसल लोग डर रहे है। कई लोग सोना खरीद रहे है तो कई अन्य जगह निवेश कर रहे है। कही न कही यह हालात सरकार द्वारा बनाये गए है। 200 प्रतिशत की पैनल्टी और ढाई लाख से ज्यादा कैश जमा किये जाने की बात जिस तरह से कही गयी उससे ईमानदार आदमी भी डरा हुआ है। आयकर विभाग का ऐसा कोई नियम नहीं है की आप ढाई लाख से ज्यादा जमा नहीं किया जा सकता। अधूरी जानकारी और डर की वजह से लोग अपने फाइनेंशियल कन्सलटेंट से मिल रहे है। इस फैसले के बाद हमारा काम का बोझ काफी बढ़ गया है। पर हम लोगो को यही सलाह दे रहे है की ईमानदार आदमी को डरने की कोई जरुरत नहीं है।
इस मामले पर कैट के अध्यक्ष और सीए बी सी भारतीय के अनुसार सरकार का यह फैसला बहुत बड़ा है इसका भविष्य में प्रभाव दिखाई भी देगा पर जबभी बड़े फैसले लिए जाते है उसकी हलचल होती है। कुछ ऐसा ही हाल वर्तमान में भी है। फाइनेंशियल कन्सलटेंट का काम बढ़ गया है। कोई भी प्रोफेशनल वक्त और दिमाग का पैसा लेता है अगर वो अपना समय दे रहा है तो पैसे तो लेगा ही। पर मेरा सुझाव है यह जो फैसला आया है उसका अध्यन किया जाये। घबराके कोई कदम ना उठाया जाये।
सीए स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष किरीट कल्याणी के अनुसार सीए का काम काफी बढ़ गया है। यह फैसला आने के बाद लोगो में डर और घबराहट का माहौल है। वो जल्द से जल्द अपने सीए से मिलकर संदेह को मिटाना चाहता है। इसमें सभी सीए का समय जायेगा। लोगो के समाधान के लिए खर्चा भी बढ़ेगा तो जाहिर है फीस भी बढ़ेगी ही।