Published On : Fri, Sep 14th, 2018

सेतु भाषा के तौर पर हो हिंदी का विकास,क्षेत्रीय भाषाओं का भी करें जतन-उपाध्याय

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नागपुर: भाषा कौशल को व्यक्तित्व विकास का बड़ा आधार मानते हुए पुलिस आयुक्त डा.भूषणकुमार उपाध्याय ने कहा है कि हिंदी का विकास सेतु भाषा के तौर पर होना चाहिए। मां,मातृभूमि के बाद मातृभाषा ही व्यक्ति को सही मायने में गढ़ने का काम करती है। अपनी भाषा को नहीं भूलना चाहिए। राजभाषा के तौर पर हिंदी के विकास के साथ ही मातृभाषा के तौर पर क्षेत्रीय भाषाओं की जतन आवश्यक है। डॉ.उपाध्याय ने विविध अनुभव व प्रसंग सुनाते हुए यह भी कहा कि सामान्य शब्दों का अधिक इस्तेमाल होना चाहिए। भाषा का महत्व दिखाने के लिए अनसुने शब्दों का इस्तेमाल कई बार हास्यास्पद स्थिति बना देता है। ट्रेन को लोहपथ गामिनी कहने की आवश्यकता नहीं लगती है।

शुक्रवार को तिलक पत्रकार भवन सभागृह में हिंदी पत्रकार संघ मध्यभारत का उद्घाटन किया गया। इसी अवसर पर हिंदी की दशा व दिशा विषय पर आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.उपाध्याय संबोधित कर रहे थे। समाचार पत्रों के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सिनेमा के बाद समाचार पत्र ही ऐसा माध्यम है जो समाज पर सीधा प्रभाव डालता है। राजभाषा के तौर पर हिंदी का चलन बढ़ाने के लिए समाचार पत्रों को और अधिक जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा। दैनिक भास्कर के संपादक मणिकांत सोनी, लोकमत समाचार के संपादक विकास मिश्र मिश्र, नवभारत के निवासी संपादक संजय तिवारी प्रमुख अतिथि थे। तिलक पत्रकार भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रदीप मैत्र , श्रमिक पत्रकार संघ के महासचिव ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी अतिथि थे। मणिकांत सोनी ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में विविध बदलावों के बाद भी हिंदी व समाचार पत्रों का महत्व कम नहीं हुआ है।

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अन्य भाषाओं की तुलना में हिंदी बोलनेवालों की संख्या बढ़ रही है। यह अवश्य है कि डिजिटल मीडिया नई चुनौती के तौर पर सामने आया है। युवाओं में हिंदी के प्रति समझ कम दिखती है। िहंदी बोलना तो आता है पर लिखते समय रोमन तरीके की हिंदी लिखी जाती है। देवनागरी लिपि पर जोर देने की आवश्यकता है। विकास मिश्र ने कहा कि भाषा कौशल के लिए साहित्य या अन्य किताबों को पढ़ते रहना आवश्यक है। लेकिन पत्रकारों में भी ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने लगी है जो समाचार पत्र भी नहीं पढ़ते हैं। पत्रकारिता के बदलते स्वरुप पर उन्होंने कहा कि पहले गुरु हुआ करते थे अब गाडफादर होने लगे हैं। पत्रकारिता की नई पीढ़ी को सही दिशा व दशा िदलाने के लिए अधिक से अधिक प्रयास की आवश्यकता है।

प्रदीप मैत्र ने कहा कि भाषा की अपनी ताकत होती है। हिंदी भाषा में पकड़ नहीं होने के कारण राजनीति के कई दिग्गज लोगों को भी असहजता होती रही है। लोकप्रिय होने के बाद भी उनकी राष्ट्रीय छवि नहीं निखर पायी। ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में बौद्धिक संगोष्ठियां या अन्य शैक्षणिक कार्यों को करने के हिंदी पत्रकार संघ के संकल्प को सभी के सहयोग की आवश्यकता है। हिंदी पत्रकार संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर पुरोहित ने परिसंवाद के विषय की जानकारी दी। महासचिव मनीष सोनी ने प्रस्तावना रखी। राजेश्वर मिश्र ने संचालन किया।

मनोज चौबे ने आभार माना। अतिथियों का स्वागत कमल शर्मा, रघुनाथसिंह लोधी, जगदीश जोशी ने किया। विधानपरिषद सदस्य प्रकाश गजभिये, मनपा के पूर्व सत्ता पक्ष नेता दयाशंकर तिवारी, वरिष्ठ भाजपा नेता जयप्रकाश गुप्ता, कांग्रेस नेता उमाकांत अग्निहोत्री, अभिजीत वंजारी, अतुल कोटेचा,रा
तुम विश्वविद्यालय नागपुर के जनसंपर्क विभाग प्रमुख डा.धर्मेश धवनकर , एसपी सिंह, डॉ.शिवस्वरुप, बाबा मेंढे, मनीष त्रिवेदी, पंजू तोतवानी, सोहेल खान, निशांत गांधी, विनोद चतुर्वेदी, हरीष गणेशानी, महेश तिवारी, कृष्ण नागपाल, नरेंद्र सतीजा, अनिल शर्मा, विनोद जेठानी, पुष्पा उदासी, इरसाद अली, रविनीश पांडेय, टिंकू दिगवा, गुड्‌डू राहंगडाले,जयप्रकाश पारेख , रामकृष्ण गुप्ता व विविध क्षेत्रों के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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